देहरादून। उत्तराखंड की जेलें बंदियों से हाउस फुल हो गई हैं। जेलों में उनकी क्षमता के हिसाब से 192 प्रतिशत की क्षमता से अधिक भीड़ है। इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 3741 बंदियों की क्षमता के सापेक्ष राज्य की जेलों में 7181 बंदी कैद में हैं।
सरकार के लिए क्षमता से अधिक बंदियों के लिए जरूरी व्यवस्था बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। जेल विकास परिषद की बैठक में भी इस मसले पर चिंता जताई गई। पिथौरागढ़ और ऊधमसिंह नगर में बनाई जा रही नई जेलों के निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिए गए।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, क्षमता से अधिक बंदी होने के कारण जेलों में सुधार की योजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। यही वजह है कि सरकार नई जेलों के निर्माण पर फोकस कर रही है।
प्रदेश के चार जिलों उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, चंपावत और बागेश्वर में कारागार नहीं है। इन जिलों के बंदियों का दबाव भी राज्य की अन्य जेलों पर रहता है। राज्य में 11 जेलें सक्रिय हैं।
इनमें सात जिला कारागार और दो उप कारागार हैं। सितारगंज में एक खुली जेल है। मौजूदा जेलों में अन्य राज्यों के कैदियों को भेजा जाता है। इनमें ज्यादातर कारागार ब्रिटिशकाल के समय के हैं।