देहरादून। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिरों में दर्शन के दौरान फोन ले जाने पर रोक लग सकती है। मंदिर समिति इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रही है। तिरुपति बालाजी, वैष्णो देवी, महाकाल और सोमनाथ मंदिर के प्रबंधन और व्यवस्था का अध्ययन करके लौटी समिति की टीम ने यह सुझाव दिया है। टीम ने रिपोर्ट मंदिर समिति को सौंप दी है। रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण भी हो चुका है। मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद समिति मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करेगी।
समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने इसकी पुष्टि की है। उनके मुताबिक, पिछले साल यात्रा के दौरान बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर में यू-ट्यूबर और ब्लागर्स की वजह से कई तरह की दिक्कतें पेश आईं। अध्ययन करके लौटी टीम की रिपोर्ट है कि देश के चारों प्रमुख मंदिरों में फोन ले जाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।
अध्ययन टीम ने यह भी बताया है कि देश के विख्यात मंदिरों में श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड है। मंदिर समिति का भी यह विचार है कि यहां आने वाले श्रद्धालु भी गरिमामय में परिधान में दर्शन करें। बता दें कि परिधान को लेकर एक बार विवाद भी हो चुका है।
बदरी-केदार मंदिर समिति चढ़ावे में दान राशि की गिनती की पारदर्शी व्यवस्था बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। अजेंद्र के मुताबिक, सभी प्रमुख मंदिरों में ड्रेस कोड की व्यवस्था है। बगैर जेब वाले परिधान के साथ ही दान राशि की गिनती करने वाले कर्मचारियों को किसी भी तरह के आभूषण पहनने की मनाही है। लेकिन ठंडे मौसम के चलते बगैर जेब वाले परिधान की व्यवस्था यहां संभव नहीं है। इसलिए एक ऐसी पारदर्शी व्यवस्था बनाने पर विचार हो रहा है, जो पूरी तरह से सीसीटीवी कैमरे की नजर में होगी। इसके लिए सरकारी अधिकारी को नियमित रूप से तैनात किया जाएगा। मंदिर समिति के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए भी अलग से वर्दी पर विचार हो रहा है।
मंदिर समिति पुजारियों व कर्मचारियों पर मंदिर में दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं से दान-दक्षिणा लेने पर रोक लगा सकती है। अध्ययन टीम ने यह जानकारी दी है कि चारों प्रमुख मंदिरों में मंदिर प्रबंधन से जुड़े कर्मचारियों व पुजारियों पर दान दक्षिणा लेने पर सख्त रोक है।
पिछली बार यात्रा के दौरान मंदिर समिति को श्रद्धालुओं से 65 करोड़ रुपये का चढ़ावा प्राप्त हुआ। पारदर्शी व्यवस्था से श्रद्धालु दान पात्रों में चढ़ावा दे सकेंगे। इससे मंदिर समिति की आय में वृद्धि हो सकेगी।