देहरादून। पुलिस का दावा है कि बेरोजगारों के आंदोलन के दौरान उपद्रव करने वालों को फंडिंग भी की गई थी। प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने एक संदिग्ध बैंक खाते को फ्रीज कर दिया है। जिसका यह खाता है वह दूसरे राज्य का रहने वाला है। जबकि, फोटो और वीडियो के आधार पर 10 पत्थरबाजों को चिन्हित कर लिया गया है।
पुलिस के अनुसार जल्द ही इनकी गिरफ्तारी भी की जाएगी। बता दें कि नौ फरवरी को बेरोजगारों के आंदोलन में हुए उपद्रव की मुकदमे के बाद कई दिशाओं में जांच चल रही है। पुलिस के अनुसार आंदोलन में कुछ बाहरी तत्व शामिल हो गए थे। इन्होंने ही कुछ युवाओं को बहकाया और फिर पत्थरबाजी शुरू कर दी। इसके लिए विभिन्न माध्यमों से रिकॉर्ड की गई वीडियो से पुलिस ने कुछ संदिग्धों के फोटो बनवाए हैं।
पुलिस कप्तान डीआईजी दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि इन फोटो का पोस्टर बनवाकर शहर की गलियों में चिपकाए जाएंगे। ताकि, जल्द से जल्द पत्थर फेंकने वालों की पहचान हो सके। अभी तक सोशल मीडिया के माध्यम से 10 पत्थरबाजों की पहचान पुलिस ने कर ली है।
कप्तान ने बताया कि इस मामले में बात सामने आ रही है कि उपद्रवियों को फंडिंग भी की गई है। वर्तमान में भी उन्हें फंडिंग की जा रही है। ऐसे में पुलिस की एक टीम इस दिशा में भी जांच कर रही है। इसी क्रम में एक बैंक खाता नजर में आया था। इस बैंक खाते से कुछ रकम संदिग्ध पत्थरबाजों के खातों में ट्रांसफर की गई। एक साथ कई खातों में यह पैसा ट्रांसफर हुआ है।
इस खाते को तत्काल प्रभाव से फ्रीज करा दिया गया है। कप्तान ने बताया कि अन्य खातों की भी जांच की जा रही है। शुरुआत से ही पुलिस को कुछ कोचिंग सेंटरों की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है। जांच में सामने आया है कि कुछ कोचिंग सेंटर वालों ने अपने सोशल मीडिया ग्रुप पर मैसेज कर युवाओं की भीड़ को गांधी पार्क के सामने आने को कहा था। इन सब सोशल मीडिया ग्रुप और नंबरों की जांच भी की जा रही है। कई को चिन्हित भी किया जा रहा है।