देहरादून। जोशीमठ भू-धंसाव के बीच भविष्य की योजना को लेकर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की कंटूर मैप बनवाने की पहली योजना असफल हो गई है। जिस इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी (आईटीडीए) को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसके ड्रोन इस काम को पूरा करने में विफल हो गए।
दरअसल, आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव सविन बंसल ने 24 जनवरी को आईटीडीए निदेशक को एक पत्र भेजा था। इसमें कहा गया था कि आईटीडीए की ओर से जोशीमठ का लार्ज स्केल कंटूर मैप तैयार किया जाए। आईटीडीए ने यह काम किया लेकिन योजना फेल हो गई। जोशीमठ सीमावर्ती क्षेत्र होने के चलते ड्रोन के लिहाज से रेड जोन में आता है।
इस वजह से आईटीडीए अपने ड्रोन नहीं उड़ा पाया। ड्रोन से सर्वेक्षण न हो पाने की वजह से कंटूर मैप की योजना विफल हो गई। आपदा प्रबंधन विभाग ने आईटीडीए के आधे-अधूरे कंटूर मैप को रिजेक्ट कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक, अब कंटूर मैप बनाने की जिम्मेदारी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस) को सौंपी गई है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ समय में जोशीमठ का मैप तैयार हो जाएगा। आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि रेड जोन में ड्रोन न उड़ पाने की वजह से उनके विशेषज्ञ कंटूर मैप तैयार नहीं कर पाए।
ऐसा मैप, जिसमें पहाड़ियों व अन्य धरातलीय संरचनाओं की स्थिति स्पष्ट ऊंचाई दो मीटर के कंटूर इंटरवल के साथ दर्शाई जा सके। दो सेमी कंटूर इंटरवल वाले मैप में नक्शे के दो सेमी भाग में धरातल की दो मीटर तक आकार वाली वस्तु को स्पष्ट दर्शाया जा सकता है। ऐसे मैप कंटूर श्रेणी के हों तो उसमें धरातल की चट्टानों, पहाड़ियों की ऊंचाई भी दिखती है। भू-धंसाव कि स्थिति किस धरातल पर कैसी है, यह जानने व उसकी गंभीरता के लिए कंटूर मैप की जरूरत पड़ती है। इसी आधार पर तय हो पाएगा कि जोशीमठ में भविष्य की कैसी प्लानिंग होनी चाहिए।