देहरादून। उत्तराखंड में बीते 10 साल में मतदाताओं की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी की जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच के लिए जिला, विधानसभा और पोलिंग बूथ स्तर पर समितियां गठित कर जिलाधिकारियों से 28 फरवरी 2023 तक रिपोर्ट मांगी गई है।
राज्य में 2012 से 2022 तक मतदाताओं की संख्या में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन (एसडीसी) की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए पूर्व आईएफएस अधिकारी एवं उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष डॉ. वीके बहुगुणा ने इस संबंध में केंद्रीय निर्वाचन आयोग को शिकायत भेजी थी। उन्हें इस बढ़ोतरी को अप्रत्याशित बताते हुए जांच की मांग की थी।
इस पर आयोग ने राज्य निर्वाचन विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। राज्य के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रताप सिंह शाह ने सभी जिलों के डीएम व जिला निर्वाचन अधिकारी के आदेश दिए हैं। साथ ही निर्देश दिए हैं कि जिला स्तर, विधानसभा क्षेत्र स्तर और पोलिंग बूथ स्तर पर समिति का गठन कर जांच की जाए।
वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान एसडीसी फाउंडेशन ने पिछले 10 वर्षों में राज्य में मतदाताओं की संख्या में हुई अप्रत्याशित बढ़ोतरी को लेकर निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट जारी की थी। इसमें उत्तराखंड की तुलना उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और गोवा से की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 से 2022 के बीच उत्तराखंड में मतदाताओं की संख्या में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि पंजाब में 21 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 19 प्रतिशत, मणिपुर में 14 प्रतिशत और गोवा में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी मामले की जांच के लिए जिला स्तर पर बनाई जाने वाली समिति में उप जिला निर्वाचन अधिकारी समेत चार सदस्य होंगे। विधानसभा क्षेत्र स्तर की समिति में निर्वाचक रजिस्ट्रेशन अधिकारी समेत चार सदस्य और बूथ स्तर की समिति में उप जिलाधिकारी की ओर से नामित पटवारी समेत पांच सदस्य होंगे।
प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों की विधानसभा सीटों पर सबसे अधिक मतदाता बढ़े हैं। इसमें धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में 10 वर्षों में सबसे अधिक 72 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा रुद्रपुर, डोईवाला, सहसपुर, कालाढूंगी, काशीपुर, रायपुर, किच्छा, भेल रानीपुर और ऋषिकेश में भी 41 से 72 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
पूर्व आईएफएस अधिकारी डॉ. वीके बहुगुणा का कहना है कि राज्य की सभी सीटों पर मतदाताओं की संख्या बढ़ी है, लेकिन मैदानी जिलों की सीटों पर यह बढ़ोतरी बेहद चिंताजनक है। पर्वतीय क्षेत्रों से हो रहे पलायन की तुलना में संभवत: अन्य राज्यों के लोगों का उत्तराखंड में बहुत ज्यादा पलायन हुआ है या दूसरे राज्यों के लोग आकर उत्तराखंड में बस रहे हैं। यदि दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में लोग आकर उत्तराखंड में बस रहे हैं तो इसके कारणों की जांच और मूल्यांकन करना बेहद जरूरी है।
एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने आशंका जताई है कि मतदाताओं की संख्या में इस बढ़ोतरी का संबंध अगले नौ महीने में होने वाले स्थानीय नगर निकायों के चुनाव से भी हो सकता है। उत्तराखंड में आठ नगर निगम देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश, कोटद्वार, हल्द्वानी, काशीपुर और रुद्रपुर हैं। इन्हीं आठ शहरों और उनके जिलों में मतदाताओं की संख्या में सबसे बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। राजनीतिक कारणों के अलावा सामाजिक, धार्मिक या सुरक्षा कारणों से सुनियोजित तरीके से ऐसा किये जाने की संभावना भी हो सकती है।
नौ पर्वतीय जिलों उत्तरकाशी, टिहरी , पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, चम्पावत, बागेश्वर, चमोली, पौड़ी और अल्मोड़ा की 34 सीटों पर 10 वर्षों में मतदाताओं की संख्या में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। सबसे कम 13 प्रतिशत मतदाता अल्मोड़ा जिले में बढ़े। धर्मपुर, रुद्रपुर, डोईवाला, सहसपुर, कालाढूंगी, काशीपुर, रायपुर, किच्छा, भेल रानीपुर और ऋषिकेश विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या में 10 वर्षों में सबसे ज्यादा 41 प्रतिशत से 72 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई।