जोशीमठ। नगर का पुनर्वास सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। सरकार जहां अभी तक पुनर्वास, विस्थापन को लेकर कागजी लेखाजोखा तैयार नहीं कर पाई है। प्रभावित एकमत नहीं हैं। कुछ लोग जहां वन टाइम सेटलमेंट की बात कह रहे हैं तो कई लोग अपनी जड़ों को छोड़ना नहीं चाहते हैं।
भूधंसाव से प्रभावित क्षेत्र के 269 परिवारों को अलग-अलग स्थानों पर बनाए गए राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया है। ये प्रभावित अपने भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं। प्रभावित विनीता सुंदरियाल, रेखा जोशी, रंजना नेगी, अंजू खंडूड़ी, सुषमा सती, सरिता सती, सरिता चमोली, रेखा नंबूरी, ज्योति नौटियाल आदि का कहना है कि, सरकार मकान, खेत का आकलन कर बदरीनाथ की तर्ज पर मुआवजा दें जिससे वे अपना वन टाइम सेटलमेंट कर सके।
वहीं, देवेश्वरी शाह, मालती देवी, एमएल शाह का कहना है कि वह आखिरी सांस तक जोशीमठ नहीं छोड़ेंगे। इस मिट्टी में जन्में, पले-बढ़े, ऐसे में अन्यत्र विस्थापन का सवाल ही नहीं बनता। सरकार, जोशीमठ का स्थायी ट्रीटमेंट करते हुए मास्टर प्लान के तहत प्रभावितों के आवास बनाकर दे। साथ ही भूधंसाव से जो क्षति हुई है उसका मुुआवजा भी उन्हें मिले। प्रभावित, पुनर्वास के लिए चिह्नित किए जा रहे भू स्थलों को लेकर भी एकमत नहीं है।
भूधंसाव से प्रभावित जोशीमठ का विस्थापन आसान नहीं है। यह चीन सीमा से लगा भारत का सीमांत नगर है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सीमांत नगर, गांवों को प्रथम गांव कह रहे हैं। वहीं, पर्यटन के जरिए इन क्षेत्रों को विकसित करने की बात हो रही है। ऐसे में जोशीमठ का अन्यत्र विस्थापन का मतलब नगर को खत्म करने जैसा होगा, जो सामारिक सुरक्षा के साथ सामाजिक ढांचे के लिए शुभ नहीं है।
प्रभावितों का कहना है कि अन्यत्र विस्थापन, पुनर्वास से उनका वर्षों पुराना व्यवसाय, रोजगार चौपट हो जाएगा। पर्यटन से जुड़े विवेक पंवार व महादेव पंवार का कहना है कि जोशीमठ में सैकड़ों लोग अलग-अलग व्यवसाय से जुड़कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं।
भूधंसाव से प्रभावित नगर में अभी तक 849 मकान और 269 परिवार प्रभावित हुए हैं। साथ ही 181 भवन असुरक्षित चिह्नित किए गए हैं। जिस तरह से हालत उपजे हैं, उससे यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। ऐसे में सरकार को मुआवजा के लिए भी अरबों रुपये चाहिए होंगे। वहीं, अन्यत्र बसावत के लिए भी बड़े बजट की जरूरत होगी। साथ ही यह कार्य दीर्घकालीन है।
जोशीमठ की सुरक्षा, पुनर्वास, विस्थापन को लेकर कमेटी के साथ दो बैठकें हो गई है। कमेटी ने कुछ सुझाव दिए हैं जिसके तहत कागजी दस्तावेज भी तैयार किए जा रहे हैं। साथ ही प्रभावितों, जनप्रतिनिधियों से भी उनके सुझाव लिए जा रहे हैं।
– हिमांशु खुराना, जिलाधिकारी चमोली