देहरादून। तपोवन-विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना का काम शुरू करने से पहले एनटीपीसी ने जोशीमठ शहर के भूगर्भीय जांच नहीं कराई। सिर्फ उसी क्षेत्र का जांच की गई, जहां पर परियोजना की सुरंग गुजर रही है। टनल के दोनों तरफ 250 मीटर क्षेत्र का ज्योफिजिकल सर्वे कराया गया।
मीडिया सेंटर में जोशीमठ आपदा में बचाव व राहत कार्यों की जानकारी देते समय में एक सवाल के जवाब में आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ में भू-धंसाव से दरारें आने के बाद पांच जनवरी को एनटीपीसी अधिकारियों के साथ दो घंटे तक बैठक की गई थी। जिसमें एनटीपीसी से पूछा गया था कि परियोजना लगाने से पहले जोशीमठ का कोई जियोफिजिकल और जियो टेक्निकल सर्वे कराया गया।
अगर परियोजना ने इस तरह का सर्वे कराया है तो उसे आपदा प्रबंधन विभाग को उपलब्ध कराया जाए। जिससे दोबारा से सर्वे नहीं करना पड़े। सिन्हा के मुताबिक एनटीपीसी अधिकारियों ने अवगत कराया कि परियोजना के लिए सुरंग क्षेत्र में ही भूगर्भीय जांच की गई थी। पूरे जोशीमठ शहर का कोई जांच नहीं की गई।
सचिव आपदा ने बताया कि यदि एनटीपीसी की ओर से परियोजना से पहले जियोफिजिकल या जियो टेक्निकल सर्वे किया जाता है तो आज दोबारा से इस तरह की जांच नहीं करनी पड़ती। जोशीमठ के भूगर्भीय अध्ययन को लेकर 1976 में मिश्रा कमेटी की पहली रिपोर्ट आई।
जिसमें जोशीमठ में सीवरेज सिस्टम न होने से जमीन में पानी का रिसाव होने की सिफारिश की गई थी। राज्य बनने के बाद चार और कमेटियों ने जोशीमठ शहर पर भूगर्भीय रिपोर्ट दी। लेकिन एनटीपीसी ने पूरे जोशीमठ क्षेत्र का भूगर्भीय जांच के लिए सर्वे नहीं किया।