खूबसूरत राज्य केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम, जिसे पहले त्रिवेंदम के नाम से जाना जाता था, दक्षिण भारत का प्रमुख पर्यटन स्थल है। तिरुअनंतपुरम में समुद्रतट के किनारे लंबे−लंबे नारियल के वृक्ष तथा सागर में उठती−गिरती लहरें सैलानियों को अपने पास आने के लिए मौन निमंत्रण देती प्रतीत होती हैं। तिरुअनंतपुरम की शांत प्राकृतिक खूबसूरती की ओट में सैलानी घंटों बैठ कर रोजमर्रा के जीवन की व्यस्तताओं व उबाऊपन के ताने−बाने बुनते रहते हैं।
आइए अब आपको लिए चलते हैं तिरुअनंतपुरम के दर्शनीय स्थलों पर। इस क्रम में सबसे पहले नाम आता है पद्मनाथ स्वामी मंदिर का। यह मंदिर द्रविड़ शैली में बना हुआ है। यह मंदिर ट्रावनकोर के महाराज के परिवार के नियंत्रण में है। इस मंदिर में जाने के लिए पुरुषों को कपड़े बदलने पड़ते हैं और दरवाजे के पास ही किराए पर मिलने वाली धोती पहननी पड़ती है। मंदिर में लेटे हुए भगवान विष्णु की पत्थर की मूर्ति है। वैसे दक्षिण भारत में अधिकतर मंदिर भगवान शिव के हैं।
राजपूत, मुगलिया व तंजौर शैली के कलात्मक चित्रों की यादों को संजोती श्री चित्रा आर्ट गैलरी को सन् 1935 में खोला गया था। इसका प्रमुख आकर्षण रूसी चित्रकार रोरिक एवं राजा रवि वर्मा के चित्रों का संग्रह है। तिरुअनंतपुरम से 53 किलोमीटर दूर पद्मनाभपुरम महल महाराजा मार्तंड वर्मा ने बनवाया था। शिल्पकला की दृष्टि से इस भव्य महल के दरवाजों व खंभों की खूबसूरती बेमिसाल है।
मनमोहक दृश्यावली का अवलोकन करना चाहते हैं तो कोवलम बीच चलिए। यह शहर से करीब 13 किलोमीटर दूर है। इसके पास ही सस्ते व साधारण होटलों में ठहरने की भी अच्छी व्यवस्था है। कोवलम बीच तक पहुंचने के लिए बसों, टैक्सियों व आटोरिक्शा की भी अच्छी व्यवस्था है।
वैली लैगून शहर से 9 किलोमीटर दूर है। यहां समुद्र के पानी को रोक कर बहुत ही सुंदर दर्शनीय स्थल बनाया गया है। यहां बोटिंग और पानी के खेलों की भी सुविधा है। चारों ओर का सुंदर बगीचा बड़ा ही मनमोहक है। तैरने वाला रेस्टोरेंट और पुल भी देखने योग्य हैं। शहर के अंदर ही बने हुए चाचा नेहरू बालघर में बच्चों को अवश्य ले जाएं। यहां तरह−तरह की गुड़हयां, मुखौटे और चित्र आदि हैं। यह सुबह 10 बजे से सायं 5 बजे तक खुला रहता है।
तिरुअनंतपुरम में कंडक्टेड टूर की भी व्यवस्था है। केटीडीसी की ओर से कई प्रकार के टूरों की व्यवस्था है। इन टूरों की बसें रेलवे स्टेशन के सामने से चलती हैं। यदि आप एक दिवसीय टूर पर जाना चाहें तो आपको बता दें कि प्रतिदिन सुबह 8 बजे बस द्वारा यह टूर शुरू होता है। बस सायं 7 बजे लौटती है। इस टूर में बस आपको श्रीपद्मनाभ स्वामी मंदिर, चिड़ियाघर, अजायबघर, आर्ट गैलरी, विज्ञान केंद्र, एमएमएसएम केंद्र, वैली लैगून, शगभुगम बीच और कोवलम बीच घुमाती है।
यदि आप कन्याकुमारी टूर चुनते हैं तो बस सुबह आपको 7.30 बजे लेकर चलेगी और रात को 9 बजे लौटेगी। यह टूर कोवलम बीच, पद्मनाभपुरम महल, सुचींद्रम मंदिर और कन्याकुमारी तक जाता है।
जब आप तिरुअनंतपुरम आए हैं तो यहां से हस्तशिल्प का सामान खरीदना न भूलें। यहां के वस्त्र, फर्नीचरों पर की गई बारीक नक्काशी, सजावट की वस्तुएं आदि भी खरीदने योग्य हैं। तिरुअनंतपुरम वायु मार्ग द्वारा कोच्चि, चेन्नई, दिल्ली, बंगलुरु व मुंबई आदि महानगरों से जुड़ा हुआ है। रेल मार्ग द्वारा भी तिरुअनंतपुरम देश के अधिकांश भागों से जुड़ा हुआ है।