देहरादून। प्लास्टिक उत्पाद से जुड़े 1724 उद्योगों (प्रोड्यूसर्स, ब्रांड ऑनर, इंपोर्टर व मैन्युफैक्चर) की एनओसी निरस्त होने का आदेश जारी होने के बाद उद्योग जगत में हड़कंप मचा है। कार्रवाई की जद में आईं कंपनियों ने अब धड़ाधड़ ईपीआर प्लान उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करना शुरू कर दिया है।
नाम न छापने की शर्त पर बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि दो दिसंबर को आदेश जारी होने के बाद शुक्रवार दोपहर तक 150 कंपनियों की ओर से ईपीआर प्लान जमा कर दिया गया था। इनमें हीरो होंडा, पारले-जी, बीएलसीसी, सन केयर, नेटको फार्मा, प्री प्लास्टिक जैसी कई बड़ी कंपनियां भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि कंपनियों की ओर से यह प्लान डाक, ई-मेल और बाई हैंड जमा कराया जा रहा है। आने वाले दिनों में इनकी संख्या और बढ़ने की उम्मीद है।
केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की साइट पर जारी आंकड़ों के अनुसार 9 दिसंबर तक देशभर में 4061 कंपनियों ने ईपीआर प्लान जमा कराया है। इनमें से भी 1664 कंपनियां उत्तराखंड की हैं। सीपीसीबी की साइट पर मौजूद आंकड़ों को देखें तो इसमें कुल 965 ब्रांड ऑनर, 1340 प्रॉड्यूशर और 1756 इंपोर्टर ने पंजीकरण कराया है।
पीसीबी में ईपीआर प्लान जमा करने के बाद प्लास्टिक उत्पादक कंपनियों को वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर रिसाइकिलिंग के लिए पंजीकृत प्लास्टिक वेस्ट प्रोसेर्सस (पीडब्ल्यूपी) कंपनियों से प्रमाण पत्र लेकर जमा करना होता है। ऐसा नहीं करने पर भी एनओसी को निरस्त किया जा सकता है। सीपीसीबी की साइट पर जारी आंकड़ों के अनुसार, देशभर में पंजीकृत पीडब्ल्यूपी कंपनियों की संख्या 1428 है। जो कंपनियों से प्लास्टिक वेस्ट लेकर उसका रिसाइकिलिंग करती हैं और इसके बाद कंपनियों को इसका प्रमाण पत्र देती हैं।
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से रिजनल ऑफिसर्स के माध्यम किसी न किसी रूप में प्लास्टिक का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को बंदी का नोटिस थमाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। शुक्रवार को अलग-अलग जिलों में यह चलता रहा। पीसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि जो कंपनियां नोटिस रिसीव नहीं करेंगी, उनके गेट पर नोटिस चस्पा कर दिया जाएगा। इस बीच तमाम कंपनियों में पहले की तरह सुचारू रूप से काम चलता रहा।
पीसीबी की ओर से 15 जुलाई को तमाम समाचार पत्रों में जारी एक विज्ञप्ति में कंपनियों को अधिनियम के तहत पंजीकरण कराने के लिए सूचना प्रसारित की गई थी, लेकिन लिखा गया था कि कंपनियां प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल के अंतर्गत निर्धारित समयसीमा में पंजीकरण कराना सुनिश्चत करें। लेकिन इसमें कहीं भी ईपीआर प्लान का जमा कराए जाने का जिक्र नहीं था। इस संबंध में पीसीबी के एक अधिकारी ने बताया कि जब अधिनियम में स्पष्ट उल्लेख है तो यह जरूरी नहीं है कि कि हर चीज का विज्ञापन अखबार में प्रकाशित कराया जाए।