देहरादून। प्रदेश में तमाम ईंट भट्ठे नियमों के विपरीत और अवैज्ञानिक रूप से संचालित हो रहे हैं। इन्हें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार जिग-जैग ब्रिक तकनीक अपनानी होगी, तभी राज्य में इनका संचालन हो पाएगा। ऐसा नहीं करने पर उन्हें बंद कर दिया जाएगा।
इस संबंध में उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में संचालित ईंट भट्ठों को नोटिस जारी किया गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी नई गाइडलाइन के अनुसार 31 मार्च 2021 के बाद ईंट भट्ठों का संचालन अनिवार्य रूप से जिग-जैग ब्रिक तकनीक अपनाकर ही किया जा सकता है। इस संबंध में पूर्व में उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से ईंट भट्ठों को नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन अभी भी बहुत से ईंट भट्ठे पुरानी तकनीक पर ही संचालित हो रहे हैं।
बोर्ड के सदस्य सचिव एसएस सुबुद्धि ने बताया कि हरिद्वार जिले में 195, जबकि ऊधमसिंह नगर जिले में 60 भट्ठे संचालित हो रहे हैं। अभी तक इनमें से हरिद्वार जिले में 133 और ऊधमसिंह नगर में 14 ईंट भट्ठों ने ही नई तकनीक अपनाई है। इनमें से भी हरिद्वार जिले में मात्र 14 और यूएस नगर में दो ईंट भट्ठे ने ही नियमानुसार संचालन की अनुमति ली है।
बोर्ड ने ऐसे भट्ठों को नियमों को पूरा करने और नई तकनीक अपनाने के लिए 15 दिनों का समय दिया है। सुबुद्धि के अनुसार, नियत समय में नियमों को पूरा नहीं करने वाले ईंट भट्ठों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की एवज में जुर्माने और उसके बाद इन्हें पूर्ण रूप से बंद करने की कार्रवाई की जाएगी। बताते चलें कि राज्य में वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981 के तहत ईंट भट्ठों को बोर्ड से नियमानुसार अनुमति लेना अनिवार्य है।
ईंट भट्ठे वायु प्रदूषणकारी उद्योग के रूप में नारंगी श्रेणी में आते हैं। इनमें नियमत: पेड़ों की जड़ों, खरपतवार इत्यादि को जलाया जाता है, लेकिन कुछ भट्ठों में प्लास्टिक और अन्य कचरा भी जलाया जा रहा है। इस कारण वायु में कार्बन के कण और जहरीली गैसें तेजी से फैल रही हैं। जिग-जैग ब्रिक तकनीक लगाने के बाद यह प्लास्टिक को फिल्टर कर देता है। इससे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।