देहरादून। दिल्ली के श्रद्धा वाकर हत्याकांड ने 12 साल पहले दून के अनुपमा गुलाटी हत्याकांड की यादें ताजा कर दी हैं। वर्ष 2010 में दून की शांत वादियों में प्रेम विवाह का ऐसा अंजाम हुआ कि हर सुनने और देखने वाले की रूह कांप गई। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी ने झगड़ा होने के बाद अपनी पत्नी अनुपमा गुलाटी को मौत के घाट उतार दिया था।
इसके बाद शव के 72 टुकड़े कर दिए थे। अनुपमा अपने पति राजेश गुलाटी के साथ देहरादून के कैंट क्षेत्र के प्रकाश नगर में रहती थीं। 17 अक्तूबर 2010 को घर में ही पत्नी की हत्या करने के बाद राजेश ने स्टोन कटर और आरी से शव के 72 टुकड़े किए थे। इसके बाद उन्हें डीप फ्रीजर में छिपा दिया था। शव को ठिकाने लगाने के लिए वह रोजाना एक टुकड़ा काली थैली में डालकर ले जाता था।
इसके बाद वह मसूरी रोड पर जंगल में उन टुकड़ों को फेंकता था। वह अपने दोनों बच्चों को बताता था कि मां दिल्ली गई हैं और कुछ दिन में आ जाएगी। अनुपमा के भाई सिद्धांत प्रधान के दून आने पर इसका खुलासा हुआ था। एक सितंबर 2017 को इस मामले में कोर्ट का फैसला आया था। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय पंचम विनोद कुमार की अदालत ने राजेश गुलाटी को सजा सुनाई गई। अदालत में जज विनोद कुमार के सामने शासकीय अधिवक्ता बीडी रतूड़ी और बचाव पक्ष के अधिवक्ता उत्कर्ष उपस्थित हुए।
दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी तरफ से दलील दी। कोर्ट ने इस मामले को रेयर ऑफ रेयरेस्ट मानते हुए राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। शासकीय अधिवक्ता बीडी रतूड़ी ने बताया कि वर्तमान में उसकी जमानत अर्जी हाईकोर्ट में पेंडिंग है।