देहरादून। मुंबई से शुरू हुई प्रगति से प्रकृति पथ तक साइकिल यात्रा 22वें दिन रविवार को उत्तर प्रदेश के तालबेहट पहुंची। यात्रा के दौरान लोगों से संवाद करते हुए पर्यावरणविद पद्मभूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि तालबेहट जैसी पानी व्यवस्था देश के हर कोने में होनी चाहिए।
डॉ. जोशी ने कहा कि बारिश के पानी को संग्रहित किया जाए तो उसे किसी भी रूप में उपयोग में लाया जा सकता है। तालबेहट इसका उदाहरण है। जल संकट की समस्या से निपटने के लिए तालबेहट में वर्षा संग्रहण किया जा रहा है। इस व्यवस्था को पूरे देश में अपनाने की जरूरत है।
जिस बुंदेलखंड को पानी से त्राही और त्रासदी की जगह माना जाता है, जबकि बुंदेलखंड ऐसा नहीं है। यहां कई जगहों में छोटे-छोटे बांध बने हैं। वह तभी संभव होगा, जब पानी होगा। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी आवश्यकता यह है कि प्रकृति और प्रगति दोनों को लेकर बात होनी चाहिए।
यात्रा में एक बहुत महत्वपूर्ण बात सामने आई कि वैटलाइन में सिंघाड़ा स्थानीय लोगों की आर्थिकी से जुड़ा है। सिंघाड़ा आय का बहुत बड़ा स्रोत है। सरकार को पहल करनी चाहिए कि सिंघाड़ा कारोबार से जुड़ी महिलाओं को संगठित कर मूल्य वृद्धि पर नई तकनीकी के साथ काम करें।