1960 और 70 के दशक का फैशन आइकन, गुज़रे ज़माने की बेहतरीन अदाकारा आशा पारेख को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने यहां विज्ञान भवन में आयोजित 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में 79 वर्षीय आशा पारेख को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया। वरिष्ठ अभिनेत्री ने कहा कि वह अपने 80वें जन्मदिन से एक दिन पहले यह पुरस्कार पाकर धन्य महसूस कर रही हैं।
आशा पारेख मासूम चेहरे वाली बॉलीवुड की वेटरन एक्ट्रेस हैं। जिन्होंने कई दशकों तक हिंदी फिल्म सिनेमा पर राज किया है। आज भी उनके कई चाहने वाले हैं जो उनकी एक झलक पाने के लिए तरसते हैं। लेकिन अब वह फिल्मों से दूर हैं। आशा पारेख ने ढेर सारी हिंदी फिल्में दी हैं। जिन्हें पद्म श्री पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है और आज भी लोग उनके कायल हैं। आइए आपको बताते हैं आशा पारेख के बचपन के किस्से।
आशा पारेख ने 60-70 के दशक में बहुत सारी फिल्में कीं। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1942 को गुजरात में हुआ था। उन्होंने छोटी उम्र में ही इंडस्ट्री में काम करना शुरू कर दिया था। दस साल की उम्र में, उन्होंने फिल्म माँ में एक बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। हालांकि बतौर एक्ट्रेस उनकी पहली फिल्म ‘दिल दे के देखो’ (आशा पारेख डेब्यू) थी। इसके बाद उन्होंने बैक टू बैक कई फिल्मों में काम किया और एक समय ऐसा आया कि वह इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा फीस लेने वाली हीरोइन बन गईं।
वैसे आशा पारेख अभी भी कुंवारी हैं। लेकिन उनका नाम आमिर खान के चाचा नासिर हुसैन के साथ कई बार जुड़ा था। आशा पारेख ने एक बार निर्देशक नासिर हुसैन के साथ अफेयर पर दिल खोलकर बातचीत की थी। उन्होंने बताया था कि वह नासिर से प्यार करती थी लेकिन वह कभी नहीं चाहती थी कि नासिर हुसैन अपने परिवार से अलग हो जाए या उनकी शादी में किसी तरह की परेशानी आए। इसलिए मैंने कभी शादी नहीं की। लव लाइफ का जिक्र आशा पारेख ने खालिद मोहम्मद की बायोग्राफी द हिट गर्ल में भी किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि कपल ऊपर से आते हैं। लेकिन मेरे मामले में भगवान जोड़ी बनाना भूल गए और मैं कभी शादी नहीं कर सकी।
1960-1970 के दशक में पारेख की शौहरत उस दौर के अभिनेता राजेश खन्ना, राजेंद्र कुमार और मनोज कुमार के बराबर थी। अपने पांच दशक लंबे करियर में अभिनेत्री ने 95 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। इनमें ‘दिल देके देखो’, ‘कटी पतंग’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘बहारों के सपने’, ‘प्यार का मौसम’ और ‘कारवां’ जैसी फिल्में शुमार हैं। उन्होंने 1952 में आई फिल्म ‘आसमान’ से 10 साल की उम्र में एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था और वह दो साल बाद बिमल रॉय की ‘बाप बेटी’ से चर्चा में आई थीं।
पारेख ने 1959 में आई नासिर हुसैन की फिल्म “दिल देके देखो” में मुख्य किरदार निभाया था, जिसमें उन्होंने शम्मी कपूर के साथ अपनी अदाकारी के जलवे बिखेरे थे। पारेख ने 1990 के दशक के अंत में एक निर्देशक व निर्माता के तौर पर टीवी नाटक ‘कोरा कागज’ का निर्देशन किया था, जिसे काफी सराहा गया। पारेख 1998-2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) की पहली महिला अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। साल 2017 में उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘द हिट गर्ल’ पेश की, जिसका सह-लेखन फिल्म समीक्षक खालिद मोहम्मद ने किया था। उन्हें 1992 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया। पिछले साल, 2019 के लिए अभिनेता रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।