नई दिल्ली। बीते कुछ सालों में कार्डिएट अरेस्ट की समस्या काफी ज्यादा कॉमन हो चुकी है. इस समस्या का सामना कभी भी किसी को भी करना पड़ सकता है. हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि अधिकतर लोगों को दिन के शुरुआती घंटों में कार्डिएक अरेस्ट की समस्या का सामना करना पड़ता है. लेकिन क्या कभी आपने ये जानने की कोशिश की है कि सुबह या तड़के ही क्यों ज्यादा कार्डिएक अरेस्ट आता है.
इस पर एक्सपर्ट का कहना है कि, ऐसा शरीर से कुछ हार्मोन के रिलीज होने के कारण होता है. सुबह लगभग 4 बजे के दौरान, हमारे शरीर से साइटोकिनिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है जो अरिदमिया या अचानक कार्डिएक अरेस्ट का कारण बन सकता है.
ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की एक स्टडी के मुताबिक, इसके लिए हमारे शरीर की इंटरनल क्लॉक जिम्मेदार होती है. एक एक्सपर्ट के मुताबिक, हमारे शरीर में एक बायोलॉजिकल क्लॉक होती है जो हमारी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में मदद करती है.
एक्सपर्ट ने बताया कि दिन के समय लोग काफी ज्यादा एक्टिव होते हैं. वहीं, रात के समय लोग काफी थके हुए रहते हैं और उन्हें नींद की काफी ज्यादा जरूरत होती है. इस बायोलॉजिकल क्लॉक के कारण, सुबह के शुरुआती कुछ घंटों में, हमारा ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ता है. सरकेडियन रिदम के रिस्पॉन्स में हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर में यह वृद्धि सुबह के दौरान कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को काफी इरिटेट कर देती है. सरकेडियन रिदम, बॉडी के अंदर 24 घंटे चलने वाली एक क्लॉक की तरह होती है जो पर्यावरण और लाइट के बदलने पर आपके सोने और जागने के समय का ध्यान रखती है.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि सुबह के समय आने वाले स्ट्रोक और अटैक के लिए सरकेडियन रिदम को जिम्मेदार मानना चाहिए. एक्सपर्ट के मुताबिक, अधिकांश कार्डियक अरेस्ट सुबह 4 से 10 बजे के बीच आते हैं जब ब्लड प्लेटलेट्स चिपचिपे होते हैं और एड्रेनालाईन ग्रंथियों से एड्रेनालाइन रिलीज बढ़ने से कोरोनरी धमनियों में प्लाक टूटने लगता है.
सरकेडियन सिस्टम सुबह के समय ज्यादा मात्रा में PAI-1 कोशिकाओं को रिलीज करता है जो ब्लड क्लॉट को टूटने से रोकता है. ब्लड में PAI-1 कोशिकाओं की संख्या जितनी ज्यादा होती है, खून में ब्लड क्लॉट बनने की संभावना उतनी ही ज्यादा होती है जिससे हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट हो सकता है.
एक्सपर्ट ने बताया कि , सुबह और नींद की आखिरी स्टेज, हार्ट अटैक, सभी तरह की कार्डियोवस्कुलर इमरजेंसी, अचानक से होने वाली कार्डियक मौत, अरोटिक रपचर और स्ट्रोक के लिए काफी खतरनाक टाइमिंग होती है.
लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में हुई एक और रिसर्च में पाया गया कि कार्डियोवस्कुलर डिजीज के मरीजों के ब्लड में सुबह के समय प्रोटेक्टिव मॉलिक्यूल्स का लेवल काफी कम होता है. जिस कारण इस समय उनमें ब्लड क्लॉट और हार्ट अटैक का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.