अनुराग कश्यप ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लोग पनीर पर जीएसटी दे रहे हैं तो उनके पास फिल्म देखने के पैसे कहा से आएंगे। इसके अलावा उन्होंने यशराज फिल्म्स के पतन के लिए आदित्य चोपड़ा को दोषी ठहराया।
फिल्म निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप बॉलीवुड के खराब दौर पर काफी मुखर रूप से बाते कर रहे हैं। पिछली बार उन्होंने बॉलीवुड के निर्देशकों पर निशाना साधते हुए कहा था कि निर्देशक भारतीय दर्शकों को समझे बिना फिल्में बना रहे हैं वहीं एक बार फिर अपनी फिल्म दोबारा की असफलता को लेकर भी अनुराग कश्यप ने तीखा बयान दिया हैं। इस बार उन्होंने सरकार के साथ-साथ यशराज फिल्म्स के पतन के लिए आदित्य चोपड़ा को दोषी ठहराया हैं।
अनुराग कश्यप ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लोग पनीर पर जीएसटी दे रहे हैं तो उनके पास फिल्म देखने के पैसे कहा से आएंगे। इसके अलावा उन्होंने यशराज फिल्म्स के पतन के लिए आदित्य चोपड़ा को दोषी ठहराया। अनुराग कश्यप ने यशराज फिल्म्स के बैनर की हालिया फिल्मों की विफलता के लिए यश राज फिल्म्स के प्रमुख आदित्य चोपड़ा पर जमकर निशाना साधा।
साल 2022 में यश राज फिल्म्स के बैनर में रणवीर सिंह की जयेशभाई जोरदार, अक्षय कुमार की सम्राट पृथ्वीराज, और रणबीर कपूर की शमशेरा बनीं और तीनों फिल्में ओंधे मुंह बॉक्स ऑफिस पर गिरी। यहां तक की फिल्म की विफलता इतनी घाटक रही कि फिल्म पर खर्च किए गये पैसे भी पूरी तरह से नहीं निकल पाए। ओटीटी पर रिलीज करके नुकसान कम करने की कोशिश की गयी।
भारत के प्रीमियर प्रोडक्शन हाउस के पतन पर बात करते हुए दोबारा निर्देशक ने कहा कि वाईआरएफ की सबसे बड़ी समस्या ‘ट्रायल रूम इफेक्ट’ है। उन्होंने यह भी कहा कि आदित्य को उन्हें हुक्म चलाने के बजाय उन्हें सशक्त बनाने की जरूरत है। अनुराग ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया बॉलीवुड में सिनेमा काफी हद तक उन लोगों द्वारा नियंत्रित किया जाता है और वह भी दूसरी पीढ़ी जो ट्रायल रूम में पली-बढ़ी है।
वाईआरएफ के साथ सबसे बड़ी समस्या ट्रायल रूम इफेक्ट है। आप एक कहानी लेते हैं और आप उसमें से पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन बनाना चाहते हैं, इसलिए वह ठग्स ऑफ हिंदोस्तान बन जाती है। आप एक कहानी लेते हैं और आप मैड मैक्स: फ्यूरी रोड बनाना चाहते हैं, यह शमशेरा बन जाता है।
अनुराग ने आगे कहा कि यशराज फिल्म्स का प्रमुख व्यक्ति एक गुफा में बैठा हुआ है। वहीं से निर्देश दे रहा हैं। जो व्यक्ति बाहर की दुनिया को नहीं जानता है, यह तय कर रहा है कि हर किसी को अपनी फिल्में कैसे बनानी चाहिए। आदित्य चोपड़ा को निर्देश नहीं देने चाहिए बल्कि बाहर आकर चीजों को समझकर निर्देशकों को समझाना चाहिए।
अगर आदित्य चोपड़ा ने लोगों के एक समूह को काम पर रखा है, तो उन्हें उन्हें सशक्त बनाने की जरूरत है और उन्हें निर्देशित करने की नहीं, कास्टिंग को नियंत्रित करने की नहीं, हर चीज को नियंत्रित करने की नहीं। अपने कार्यालय में बैठो, अच्छे लोगों को काम पर रखो यदि आप उन पर भरोसा करते हैं, और उन्हें अपनी फिल्म बनाने दें। वह कौन सी गलती करता है।