
बागपत जिले के बड़ौत क्षेत्र स्थित महावतपुर बावली गांव में प्रेम प्रसंग ने ऐसा भयावह मोड़ लिया, जिसने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। करीब दो साल पहले एक साधारण सी मिस्ड कॉल से शुरू हुई सतनाम और गुड्डन की बातचीत धीरे-धीरे प्रेम में बदली, लेकिन यही रिश्ता अंततः तमंचे की गोली और फांसी के फंदे पर जाकर खत्म हो गया।
बताया गया कि सतनाम और गुड्डन के मकान एक-दूसरे से लगभग 70 मीटर की दूरी पर थे। दोनों एक ही गांव के रहने वाले थे और पहले सामान्य जान-पहचान भर थी। दो साल पहले सतनाम के फोन से गुड्डन के नंबर पर एक मिस्ड कॉल गई, जिसके बाद बातचीत शुरू हुई। बातचीत बढ़ी तो दोनों के बीच भावनात्मक जुड़ाव गहराता चला गया और प्रेम संबंध स्थापित हो गया।
सतनाम के पिता कृष्णपाल, मां सुषमा और परिवार के अन्य सदस्य पिछले करीब 15 वर्षों से पंजाब के जालंधर स्थित एक ईंट भट्ठे पर मजदूरी करते हैं। गांव में उनका मकान अक्सर बंद रहता था और केवल किसी के आने पर ही ताला खुलता था। वहीं गुड्डन के पिता लख्मी बड़ौत कोतवाली में चौकीदार हैं और मां राजकली घर व खेत का काम संभालती हैं।
जब दोनों परिवारों को इस प्रेम संबंध की जानकारी हुई तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। परिजनों के दबाव के चलते गुड्डन ने कुछ समय से सतनाम से बातचीत कम कर दी थी। इसी बात को लेकर दोनों के बीच तनाव और विवाद बढ़ने लगा। बताया जाता है कि इसी तनाव ने सतनाम को मानसिक रूप से परेशान कर दिया।
करीब एक सप्ताह पहले सतनाम पंजाब से गांव आया था। उसने परिवार को बताया था कि वह मकान की सफाई करके वापस लौट आएगा। गांव में रहने के दौरान गुड्डन से उसका विवाद और गहरा गया। अंततः गुस्से और अवसाद में आकर सतनाम ने प्रेमिका गुड्डन को गोली मार दी। इसके बाद वह अपने घर गया और नीम के पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
इस दोहरे हादसे के बाद गांव में सनसनी फैल गई। एक ही दिन में दो युवाओं की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस मामले की जांच कर रही है, वहीं गांव में शोक और भय का माहौल बना हुआ है। यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि रिश्तों में संवाद की कमी और सामाजिक दबाव किस तरह जिंदगियों को निगल जाते हैं।







