
उदयपुर | उदयपुर में बदले की आग ने तीन युवकों को इस कदर अंधा कर दिया कि दूसरों को झूठे मुकदमे में फंसाने की उनकी योजना उलटी पड़ गई और वे खुद पुलिस की गिरफ्त में आ गए। हिरणमगरी थाना पुलिस ने शुक्रवार रात की कार्रवाई में दो सगे भाइयों सहित तीन युवकों को 15 जिंदा कारतूस और एक मोटरसाइकिल के साथ दबोचा। पुलिस का कहना है कि आरोपियों की मंशा गोली चलाने की नहीं थी, बल्कि अपने दुश्मनों की गाड़ियों में कारतूस रखकर उन्हें फंसाने की थी।
लालच से शुरू हुई दुश्मनी
गिरफ्तार मुख्य आरोपी रमेशचंद्र लोहार, कानोड़ निवासी है। पुलिस जांच में सामने आया कि वह एक साल पहले सोहाणा गांव के तांत्रिक मोहनदास वैष्णव के संपर्क में आया था। तांत्रिक ने उसे यह विश्वास दिलाया कि उसके पास ऐसा उपाय है जिससे पैसा दोगुना हो सकता है। लालच में आकर रमेश ने 5 लाख रुपये मोहनदास को सौंप दिए। लेकिन न तो पैसा वापस मिला और न ही वादा पूरा हुआ। इस धोखे से आहत होकर रमेश और उसका भाई कैलाश मोहनदास से बदला लेने के लिए मौके की तलाश करने लगे।
पारिवारिक विवाद ने साजिश में जोड़ा नया मोड़
तीसरा आरोपी सुरेन्द्र सिंह शाकावत, पारोला निवासी है। उसका अपने ही भाई हिम्मत सिंह से जमीन और मकान को लेकर विवाद चल रहा था। कोर्ट से हिम्मत सिंह ने स्टे ले रखा था, जिससे सुरेन्द्र मकान निर्माण नहीं कर पा रहा था। यह रंजिश इतनी गहरी हो गई कि सुरेन्द्र ने भी अपने भाई को झूठे आर्म्स एक्ट केस में फंसाने की ठान ली।
बनाई खतरनाक योजना
तीनों आरोपियों ने मिलकर योजना बनाई कि बाजार से जिंदा कारतूस खरीदकर मोहनदास और हिम्मत सिंह की गाड़ियों में रख दिए जाएं। इसके बाद पुलिस को सूचना देकर दोनों को अवैध हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार करवाया जाए। इस तरह वे दुश्मनों को जेल की हवा खिलाने की साजिश रच चुके थे।
लेकिन किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया। पुलिस को उनकी गतिविधियों की भनक लग गई और कार्रवाई करते हुए हिरणमगरी थाना प्रभारी भरत योगी के नेतृत्व में टीम ने तीनों को धर दबोचा। तलाशी में 15 जिंदा कारतूस और एक बाइक बरामद हुई।
पुलिस की सतर्कता से बच गई बड़ी साजिश
पुलिस के अनुसार, यदि समय रहते आरोपियों को नहीं पकड़ा जाता तो निर्दोष लोग झूठे मामले में फंस सकते थे और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठते। इस कार्रवाई में कांस्टेबल कपलेश पटेल और विजय सिंह की अहम भूमिका रही।
समाज के लिए सबक
यह पूरा मामला दिखाता है कि कैसे लालच और निजी रंजिश इंसान को अपराध की ओर धकेल सकती है। कभी तांत्रिक के झांसे में आकर लाखों गंवाने की चाह, तो कभी संपत्ति विवाद में भाई से बदला लेने की सोच—इन्हीं कारणों ने तीन युवकों को अपराध के रास्ते पर ला खड़ा किया। लेकिन पुलिस की सतर्कता से न केवल एक साजिश नाकाम हुई, बल्कि समाज को यह संदेश भी मिला कि न्याय के रास्ते से भटकने का अंजाम सलाखों के पीछे ही होता है।







