
देहरादून। प्रदेशभर में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। नई शिक्षा नीति-2020 (NEP-2020) को लागू करने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मंगलवार को सचिवालय सभागार में आयोजित टास्क फोर्स बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आने वाले समय में प्रदेश के छात्र-छात्राओं को अपनी रुचि के अनुसार विषय चुनने की स्वतंत्रता होगी। साथ ही, मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू होगा, जिससे विद्यार्थी अपनी पढ़ाई को कभी भी रोककर पुनः शुरू कर सकेंगे।
छात्रों को मिलेगा लचीलापन
परंपरागत शिक्षा प्रणाली में छात्रों को साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स जैसी तय धारा तक सीमित रहना पड़ता था। नई शिक्षा नीति में यह बाध्यता समाप्त हो जाएगी। अब छात्र मनपसंद विषयों का संयोजन कर पाएंगे। उदाहरण के तौर पर कोई छात्र गणित और संगीत या फिर कंप्यूटर साइंस और कृषि जैसे विषय एक साथ पढ़ सकेगा।
नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क होगा आधार
बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी शिक्षण संस्थानों को अपने पाठ्यक्रम नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCF) के अनुसार तैयार करने होंगे। इसका उद्देश्य यह है कि एक संस्था से प्राप्त अंक (क्रेडिट) दूसरी संस्था में भी मान्य हों और विद्यार्थियों को किसी स्तर पर नुकसान न उठाना पड़े।
आधुनिक और परंपरागत दोनों तरह के पाठ्यक्रम
डॉ. रावत ने कहा कि मौजूदा समय की आवश्यकता को देखते हुए छात्रों को आधुनिक तकनीकी ज्ञान संबंधी पाठ्यक्रमों से जोड़ा जाएगा। इनमें ईवी टेक्नोलॉजी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), डेटा एनालिसिस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, उभरती तकनीकें, एंटरप्रेन्योरशिप और न्यू वेंचर क्रिएशन जैसे विषय शामिल होंगे।
इसके साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे। इसमें ज्योतिष विज्ञान, आयुष विज्ञान, योग विज्ञान, वास्तु विज्ञान, कृषि, वानिकी और उद्यानिकी जैसे विषय शामिल होंगे।
टास्क फोर्स बैठक में चर्चा
बैठक में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से नई शिक्षा नीति-2020 को लेकर विस्तार से प्रस्तुति दी गई। इसमें नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, पाठ्यक्रम सुधार, बहुविषयक विकल्प, कौशल संवर्धन, डिजिटल इनिशिएटिव, ग्रेडेड ऑटोनॉमी, मल्टीपल एंट्री-एग्जिट, अकादमिक शोध, गुणवत्ता एवं प्रशिक्षण, भारतीय ज्ञान व्यवस्था, एकेडमिया-इंडस्ट्री सहयोग और ओपन डिस्टेंस लर्निंग जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।
शिक्षा का नया स्वरूप
विशेषज्ञों का मानना है कि नई शिक्षा नीति प्रदेश के विद्यार्थियों को न केवल पढ़ाई में लचीलापन देगी, बल्कि उन्हें रोजगारोन्मुख भी बनाएगी। आधुनिक तकनीक और पारंपरिक भारतीय ज्ञान का संतुलन शिक्षा को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।