
उत्तरकाशी | बीते 5 अगस्त को उत्तरकाशी के धराली बाजार में आई आपदा ने न केवल बहुमंजिला होटल और अन्य भवनों को मलबे में दफन कर दिया, बल्कि महाभारतकालीन कल्प केदार मंदिर भी मलबे में दब गया। तब से स्थानीय ग्रामीण और श्रद्धालु बाबा के दर्शन की प्रतीक्षा में थे। अब ग्रामीणों की मांग पर जीपीआर तकनीक से मंदिर की लोकेशन तलाश कर ली गई है।
मंदिर समिति के सचिव संजय पंवार ने बताया कि आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमों ने मलबे में करीब 8 से 10 फीट नीचे मंदिर की स्थिति का पता लगाया। इसके बाद सभी ग्रामीण और सर्चिंग टीमों ने मिलकर मंदिर की स्थिति पर हनुमान झंडी स्थापित की। उन्होंने कहा, “जब तक बाबा का मंदिर नहीं मिल जाता, तब तक वहां हनुमान झंडी की सुबह-शाम पूजा नियमित रूप से की जाएगी।”
ग्रामीणों और श्रद्धालुओं की उम्मीदें
स्थानीय लोगों ने कहा कि जिस तरह मलबे के नीचे से राजराजेश्वरी की मूर्ति सुरक्षित निकालने में सफलता मिली, उसी तरह बाबा कल्प केदार का मंदिर भी जल्द ही मिल जाएगा और श्रद्धालु उनके दर्शन कर सकेंगे। ग्रामीणों का विश्वास है कि यह घटना एक आस्था और धैर्य की परीक्षा के रूप में सामने आई है।
एक ग्रामीण ने संवाददाता से कहा, “मंदिर का इतिहास महाभारतकालीन है, और यह हमारी संस्कृति और धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मंदिर के मिलने से हमारे क्षेत्र में श्रद्धा और उत्साह का संचार होगा।”
आपदा और खोजबीन का विवरण
बीते पांच अगस्त को आई आपदा ने धराली बाजार में तबाही मचा दी थी। होटल और अन्य भवनों के साथ ही कल्प केदार मंदिर भी मलबे में दब गया। तब से एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें जीपीआर और रेको डिटेक्टर मशीनों से मलबे में दबे लोगों और संरचनाओं की तलाश कर रही हैं।
संजय पंवार ने बताया कि मंदिर की लोकेशन का पता लगने के बाद, सभी ग्रामीण सर्चिंग टीमों के साथ मंदिर स्थल पर एकत्रित हुए और हनुमान झंडी स्थापित की। उन्होंने यह भी कहा कि झंडी के स्थान पर नियमित पूजा के माध्यम से शांति और सुरक्षा की कामना की जाएगी।
स्थानीय प्रशासन और राहत कार्य
आपदा के बाद उत्तरकाशी प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य को प्राथमिकता दी। धराली के बाद अब सयानाचट्टी में भी हालात बिगड़ गए हैं, और पूरा क्षेत्र पानी में डूबा है। प्रशासन ने आपदा प्रबंधन टीमों को तैनात किया है और स्थानीय लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीपीआर तकनीक और सर्च डिटेक्टर मशीनों के माध्यम से मलबे में दबे मंदिर और अन्य संरचनाओं का पता लगाना राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
श्रद्धा और आस्था का प्रतीक
कल्प केदार मंदिर की लोकेशन मिलने से स्थानीय ग्रामीण और श्रद्धालु उत्साहित हैं। हनुमान झंडी स्थापित करना न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह संकट और आपदा में आशा की किरण भी है। अब सभी की निगाहें मंदिर को सुरक्षित निकालने और बाबा के दर्शन करने पर टिकी हैं। संजय पंवार ने कहा, “हम सभी यह विश्वास करते हैं कि बाबा के दर्शन जल्द ही होंगे और मंदिर पुनः अपनी शान और महिमा के साथ स्थापित होगा।”