
सीतामढ़ी | बिहार के सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय भनसपट्टी में शिक्षा का मंदिर अब सवालों के घेरे में है। जहां बच्चों को ज्ञान और संस्कार की शिक्षा मिलने चाहिए, वहीं एक ताजा मामला यह दर्शाता है कि शिक्षक और प्रबंधन के बीच विवाद कितने गंभीर रूप ले सकते हैं।
मामला इतना चौंकाने वाला है कि सुनने वाला भी हैरान रह जाए। प्रधानाध्यापक प्रमोद कुमार पर उनकी सहायक शिक्षिका सविता कुमारी ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता ने थाने में दर्ज प्राथमिकी में बताया कि बच्चों की प्रार्थना और कतारबद्ध करने की मामूली बात पर वाद-विवाद इतना बढ़ गया कि प्रधानाध्यापक ने सभी हदें पार कर दीं।
सविता कुमारी का आरोप है कि गुस्से में प्रधानाध्यापक ने उन्हें जमीन पर पटक दिया, अपशब्द कहे, लात-घूसे मारे और यहां तक कि उनकी ओढ़नी खींचकर सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। उनका कहना है कि यह घटना किसी शिक्षा संस्थान का नहीं बल्कि किसी जंग के मैदान की तरह लगी।
विद्यालय में गड़बड़ी और घोटाले के भी खुलासे
शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के साथ-साथ शिक्षिका ने यह भी आरोप लगाया कि विद्यालय में बच्चों की गलत हाजिरी बनाई जाती है और इसी आधार पर मिड-डे मील (MDM) की राशि का गबन किया जाता है। सविता कुमारी पर भी दबाव बनाया गया कि वह इस गड़बड़ी में शामिल हों। उनके विरोध करने पर ही यह हिंसात्मक घटना घटित हुई।
यह खुलासा पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया है। ग्रामीणों और अभिभावकों ने इस घटना पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि जहां बच्चों को शिक्षा और अनुशासन सिखाया जाना चाहिए, वहीं शिक्षक और प्रधानाध्यापक के बीच इस तरह की शर्मनाक हरकतें शिक्षा के मंदिर को बदनाम कर रही हैं।
पुलिस कार्रवाई और न्यायिक प्रक्रिया
इस गंभीर मामले को लेकर पुलिस ने प्रधानाध्यापक प्रमोद कुमार को गिरफ्तार कर लिया है। थानाध्यक्ष रामनाथ प्रसाद ने बताया कि पूछताछ के बाद आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। घटना के बाद विद्यालय परिसर और आसपास के इलाके में तनाव का माहौल बन गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह घटना शिक्षा प्रणाली की गहन समीक्षा की आवश्यकता को उजागर करती है। “क्या विद्यालय केवल कागज़ पर चलेंगे? क्या हाजिरी और मिड-डे मील सिर्फ भ्रष्टाचार का जरिया बनकर रह जाएंगे? क्या ऐसे शिक्षकों और अधिकारियों के भरोसे बच्चों का भविष्य सुरक्षित है?” – यह सवाल अब हर किसी के मन में गूंज रहा है।
ग्रामीण और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
ग्रामीण और अभिभावक स्कूल के इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि बच्चों की शिक्षा और नैतिकता पर सकारात्मक असर डालने वाला वातावरण बनाने के बजाय, स्कूल प्रशासन द्वारा अपनाई गई ऐसी कार्यप्रणाली बच्चों के मनोबल और भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
कई लोग इसे “शिक्षा का मंदिर” से “घोटालों का अड्डा” बनने की मिसाल बताते हुए प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। साथ ही, यह मामला शिक्षा विभाग और राज्य सरकार के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है कि शिक्षक और प्रधानाध्यापक की आपसी लड़ाई से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए।