
भराड़ीसैंण/देहरादून | उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस के तेवरों ने साफ संकेत दिए हैं कि अब विपक्ष सिर्फ मित्रवत नहीं बल्कि पूरी तरह आक्रामक है। तस्वीर बदलने और जनता के बीच अपनी साख मजबूत करने के लिए कांग्रेस के तीर अब सरकार पर दनादन छूटेंगे।
सदन में दिखी कांग्रेस की एकजुटता
गैरसैंण स्थित ग्रीष्मकालीन राजधानी में सत्र के दौरान कांग्रेस ने एकजुटता और आक्रामक रुख दिखाया। विपक्ष के मित्रवत होने का आरोप ठेंगा दिखाते हुए कांग्रेस ने सदन में स्पष्ट कर दिया कि अब उसकी रणनीति सिर्फ बहस तक सीमित नहीं रहेगी। पार्टी के नेता अब सड़कों पर भी सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अपनाएंगे।
भारी विरोध और उग्र तेवरों के कारण भाजपा नेतृत्व और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कांग्रेस की रणनीति तोड़ने में कठिनाई हुई। कांग्रेस नेताओं ने न केवल सामूहिक निर्णय पर अडिग रहकर सरकार के दबाव को असफल बनाया, बल्कि रात को सदन में डटे रहना भी उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास में पहली बार हुआ।
2027 चुनाव के लिए कांग्रेस की तैयारी
सत्र में कांग्रेस का रुख यह संकेत देता है कि पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए पूरी तरह तैयार है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सदन में कांग्रेस ने सरकार के तानाशाही रुख का विरोध किया और अब सड़कों पर भी इसका असर दिखेगा।
यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि पंचायत चुनावों में भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग, धनबल और बाहुबल का प्रयोग किया। कांग्रेस इसे नजरअंदाज नहीं करेगी और जनता के बीच अपने विरोध का संदेश पहुंचाएगी।
सदन स्थगित होने के बाद भी डटे रहे कांग्रेस नेता
मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बावजूद कांग्रेस के नेता भराड़ीसैंण नहीं लौटे। आम तौर पर सरकार की ओर से विपक्ष पर आरोप लगते थे कि वे ग्रीष्मकालीन राजधानी में ठहरना नहीं चाहते, लेकिन इस बार कांग्रेस ने यह धारणा पूरी तरह तोड़ दी।
मुख्यमंत्री धामी ने विपक्ष से विरोध प्रदर्शन समाप्त करने का आग्रह किया, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इसे नजरअंदाज कर अपनी एकजुटता और विरोध रुख बनाए रखा।
भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक टकराव
विश्लेषकों का कहना है कि कांग्रेस का यह आक्रामक रुख और सदन में दिखाए गए तेवर भाजपा के लिए चुनौती होंगे। आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी ने न केवल सदन में बल्कि जनता के बीच अपनी छवि सुधारने की रणनीति भी तैयार कर ली है।
सत्र के दौरान कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब सरकार मित्रवत विपक्ष के रूप में नहीं बल्कि आलोचना और जांच के दबाव में रहेगी। यह आक्रामक रुख पार्टी के 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारी और सरकार के रिकॉर्ड पर सवाल उठाने की दिशा में पहला संकेत है।
राजनीतिक माहौल पर असर
मानसून सत्र के बाद उत्तराखंड में राजनीतिक माहौल काफी गर्म हो गया है। अब कांग्रेस की रणनीति और विरोध प्रदर्शन सरकार के कामकाज और जनसंपर्क पर दबाव डाल सकते हैं। यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अपनी एकजुटता और आक्रामकता के साथ चुनावी तैयारियों को भी मजबूत कर रही है।