
गोपेश्वर | चमोली ज़िले का नंदानगर बाज़ार हर बरसात में नंदाकिनी नदी के रौद्र रूप से दहशत में रहता है। त्रिशूली और नंदा देवी पर्वत के बीच पंचगंगा से निकलने वाली यह नदी, जब उफान पर आती है, तो बाज़ार के किनारे बसे घरों और दुकानों के लिए खतरा बन जाती है। नदी किनारे अवैध और बेतरतीब निर्माण ने खतरे को और बढ़ा दिया है।
संकरी होती नदी, बढ़ता खतरा
- नंदाकिनी नदी सीधे नंदानगर बाज़ार के बीच से बहती है
- दोनों किनारों पर बिना योजना के निर्माण से बहाव क्षेत्र कम हुआ
- बरसात में जलस्तर बढ़ने पर पानी और मलबा सीधे आबादी में घुस जाता है
स्थानीय लोगों की राय
सेवानिवृत्त कर्नल हरेंद्र सिंह रावत और अन्य निवासियों का कहना है कि नदी किनारे मजबूत तटबंध और सुरक्षा दीवार जरूरी है। पहले यहां चेकडेम थे, लेकिन 2019 की आपदा में वे बह गए। तब से नदी के किनारे पूरी तरह खुले हैं।
पिछली आपदाएं
- 2013: पुराना बाज़ार तबाह, दो लोगों की मौत
- 2015: कटाव से दो दुकानें बह गईं
- 2019: कुमारतोली गांव में मकान जलमग्न और क्षतिग्रस्त
- 2022: जलस्तर बढ़ने पर गांव खाली करवाना पड़ा
संवेदनशील स्थान
नदी किनारे कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, विद्युत सब स्टेशन, राइंका नंदानगर, सरकारी दफ़्तर और कुमारतोली गांव स्थित हैं। लगभग 13 आदिवासी और कुछ अनुसूचित जाति परिवार यहां रहते हैं। धराली में हालिया आपदा ने नंदानगर के लोगों की बेचैनी और बढ़ा दी है। वे चाहते हैं कि नगर पंचायत बनने के बाद अब निर्माण पर नियंत्रण हो और नदी किनारे स्थायी सुरक्षा ढांचा खड़ा किया जाए।