
फिरोजाबाद | उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जनपद से एक बेहद मार्मिक और सामाजिक संवेदनाओं को झकझोरने वाला मामला सामने आया है। फरिहा थाना क्षेत्र की रहने वाली एक महिला को, जिसने पति की असामयिक मृत्यु के बाद अपने देवर से शादी कर सुहागिन तो बनने की कोशिश की, लेकिन अब उसी देवर से प्रताड़ना, शोषण और धमकी झेलनी पड़ रही है। समाज और परिवार की ‘इज्जत’ के नाम पर जो विवाह कराया गया था, वह अब इस महिला के लिए नर्क से कम नहीं रह गया है।
दुर्घटना में टूटा संसार
पीड़िता ने पुलिस को दी गई तहरीर में बताया कि उसकी शादी 7 दिसंबर 2020 को नारखी थाना क्षेत्र के निवासी युवक से धूमधाम से हुई थी। वैवाहिक जीवन सामान्य रूप से चल रहा था, लेकिन 28 मार्च 2025 को एक हादसे ने उसकी दुनिया उजाड़ दी। मकान का एक क्षतिग्रस्त हिस्सा गिरने से उसके पति की मौके पर ही मौत हो गई। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन सबसे ज्यादा अकेलापन और असुरक्षा उस विवाहिता के हिस्से में आई, जिसकी उम्र अभी भी जीवन की शुरुआत ही थी।
देवर की नीयत में था खोट, घर वालों ने कर दी शादी
पति की मौत के कुछ समय बाद, महिला के ससुराल में रहने वाले देवर ने उसके प्रति अनुचित रुचि दिखानी शुरू कर दी। पीड़िता के अनुसार, वह बार-बार उसका पीछा करता, मौका मिलते ही छेड़छाड़ करता और अश्लील हरकतों से उसे परेशान करता था। जब महिला ने इसकी शिकायत अपने मायके और ससुराल पक्ष से की, तो परिवार को बदनामी का डर सताने लगा। सामाजिक लोकलाज और ‘इज्जत’ की दुहाई देते हुए दोनों पक्षों ने देवर से ही पीड़िता की शादी करा दी, ताकि परिवार की बदनामी से बचा जा सके।
शादी के बाद खुला देवर का असली चेहरा
शादी के कुछ ही महीनों बाद, वह देवर जिसने समाज और रिश्तों के डर से विवाह किया था, अब उसी पत्नी को प्रताड़ित करने लगा। पीड़िता का आरोप है कि पति ने बहलाकर उसके सारे जेवरात अपने कब्जे में ले लिए और आए दिन उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता रहा। 15 जून 2025 को स्थिति उस समय चरम पर पहुंच गई, जब आरोपी ने उसे जान से मारने की धमकी दी और घर से बाहर निकाल दिया। इतना ही नहीं, अब आरोपी एक लाख रुपये की मांग कर रहा है, जिसके लिए महिला पर दबाव बनाया जा रहा है।
थाना फरिहा में दर्ज हुई एफआईआर, पुलिस कर रही जांच
पीड़िता ने अंततः साहस जुटाकर फरिहा थाने पहुंचकर आरोपी देवर के खिलाफ पूरी घटना की शिकायत दर्ज कराई। फरिहा थाने के प्रभारी निरीक्षक राजीव कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर ली है। उन्होंने बताया कि “महिला द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पीड़िता की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।”
सामाजिक प्रश्न भी खड़े करता है मामला
यह मामला केवल एक महिला की व्यक्तिगत पीड़ा नहीं, बल्कि एक गहरी सामाजिक विडंबना को भी उजागर करता है। एक ओर समाज विधवा को ‘समझौते’ के लिए मजबूर करता है, वहीं जब वह समझौता करती है तो उसे सम्मान की जगह अपमान, सुरक्षा की जगह शोषण और रिश्ते की जगह सौदेबाज़ी मिलती है। यह घटना ऐसे तमाम परिवारों के लिए भी चेतावनी है, जो सामाजिक दबाव में आकर महिलाओं के जीवन को समझौते की बलि चढ़ा देते हैं।
न्याय की उम्मीद
फिलहाल पीड़िता की ओर से न्याय की उम्मीद बनी हुई है और पुलिस की सक्रियता इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है। लेकिन इससे इतर सवाल यह भी उठता है कि क्या सिर्फ कानूनी कार्रवाई ही पर्याप्त है? क्या समाज को अब महिलाओं की गरिमा और अधिकारों के प्रति संवेदनशील होने की ज़रूरत नहीं है?
यह मामला न्यायिक समाधान से कहीं अधिक सामाजिक आत्मचिंतन की मांग करता है। यदि इस पीड़िता को न्याय मिल भी गया, तो क्या उसके टूटे अरमान, छली गई भावनाएं और खोया हुआ विश्वास कभी लौट पाएगा?