
कोटद्वार (पौड़ी) | उत्तराखंड की शांत वादियों में बसे एक छोटे से गांव कटाखोली में उस समय सन्नाटा पसर गया, जब गढ़वाल राइफल्स में तैनात जवान लोकेंद्र प्रताप की अचानक मृत्यु की खबर घर पहुंची। 26 वर्षीय यह युवा फौजी परिवार की उम्मीद और गांव का गौरव था। अभी एक महीना पहले ही उसकी शादी हुई थी। घर में चल रही नवविवाहित दंपति की नई ज़िंदगी की खुशियों को मानो किसी ने ग्रहण लगा दिया हो।
रात को बात, सुबह मौत
बताया जा रहा है कि लोकेंद्र प्रताप हाल ही में गब्बर सिंह कैंप कौड़िया में ट्रेनिंग के लिए पहुंचे थे। 20 जुलाई की रात करीब 11:30 बजे तक उन्होंने अपने परिजनों से फोन पर बातचीत की थी। वह सामान्य थे, किसी तरह की अस्वस्थता की शिकायत नहीं थी। लेकिन अगली सुबह जब 4:30 बजे तक वे नहीं उठे, तो साथी जवान उन्हें जगाने पहुंचे। देखा तो वे बिस्तर पर अचेत अवस्था में पड़े थे।
डॉक्टरों ने बताया हार्ट अटैक से मौत
तुरंत उन्हें सैन्य अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। प्रारंभिक रिपोर्ट में उनकी मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया गया है। इतनी कम उम्र में हृदयाघात ने हर किसी को चौंका दिया है।
जवान की पृष्ठभूमि और परिवार
लोकेंद्र प्रताप, पुत्र श्री भगत सिंह, पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर तहसील स्थित गांव कटाखोली (पोस्ट नवाखाल) के निवासी थे। आठ साल पहले वह भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स बटालियन में भर्ती हुए थे। सरल स्वभाव, अनुशासनप्रिय और हमेशा मुस्कराने वाला यह युवा अपने गांव का अभिमान था।
शादी के एक माह बाद ही टूटा सपना
लोकेंद्र की शादी महज़ 8 जून 2025 को धूमधाम से हुई थी। नई दुल्हन के साथ सजे सपनों का महल अभी बना ही था कि नियति ने ऐसा झटका दिया कि सब कुछ टूटकर बिखर गया। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। माता-पिता और अन्य परिजन बेसुध हैं। जिस घर में शहनाइयों की गूंज थी, अब वहां मातम पसरा है।
“बेटा फौज में भर्ती होकर गांव का नाम रोशन कर रहा था। सोचा था अब घर में खुशियां आएंगी, लेकिन अब सब कुछ खत्म हो गया…”
— भगत सिंह, शोकाकुल पिता
गांव में पसरा शोक, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब
लोकेंद्र का पार्थिव शरीर जैसे ही गांव लाया गया, चारों ओर शोक की लहर फैल गई। ग्रामीणों की आंखें नम थीं। जवान को अंतिम सलामी के साथ राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किया गया। युवाओं की आंखों में गर्व भी था और ग़म भी — कि उनका साथी इस दुनिया को इतनी जल्दी छोड़ गया।
सवाल खड़े करता है इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक
सेना जैसे अनुशासित और शारीरिक रूप से फिट रहने वाले पेशे में इतनी कम उम्र में हृदयाघात से मौत होना कई सवाल खड़े करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अत्यधिक मानसिक तनाव, जीवनशैली में बदलाव, नींद की कमी और जटिल आहार व्यवहार इसके संभावित कारण हो सकते हैं।