
बरेली | शुक्रवार को बरेली जिले के आंवला-बदायूं रोड स्थित एक मेडिकल कॉलेज के पास अजीब दृश्य देखने को मिला। सड़क किनारे जींस-टॉप पहने नौ युवतियां राह चलते लोगों को रोककर पारिवारिक परेशानियां बताकर उनसे 100-200 रुपये की मदद मांग रही थीं। कुछ राहगीर इनके झांसे में आकर मदद भी कर बैठे।
संदेह होने पर स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और युवतियों को थाने ले आई। पूछताछ में पता चला कि सभी युवतियां अहमदाबाद, गुजरात की रहने वाली हैं।
युवतियों की पहचान और पुलिस की कार्रवाई
युवतियों ने अपने नाम बताए:
- उर्मी (28)
- नीतू (25)
- कुसुम (25)
- अंजलि (21)
- सुनीता (26)
- रीना (20)
- मनीषा (20)
- पूनम (25)
- टीना (26)
पुलिस ने सभी के खिलाफ शांतिभंग की धारा में चालान किया और उन्हें एसडीएम कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया।
गिरोह की आशंका और लोगों के लिए चेतावनी
स्थानीय लोगों में चर्चा है कि ये कोई संगठित गिरोह हो सकता है, जिसके अन्य सदस्य अन्य इलाकों में सक्रिय हो सकते हैं। कुछ लोगों ने यह भी आशंका जताई कि रुपये न देने पर ये युवतियां राहगीरों पर झूठे आरोप भी लगा सकती हैं।
आंवला कोतवाल कुंवर बहादुर सिंह ने बताया कि ये युवतियां भावनात्मक कहानी सुनाकर लोगों से पैसा मांग रही थीं। सभी को चालान कर कोर्ट भेजा गया, और क्षेत्रवासियों को सतर्क रहने तथा पुलिस को समय पर सूचना देने की सलाह दी गई है।
निष्कर्ष
इस घटना ने न केवल पुलिस की सतर्कता को परखा, बल्कि आम नागरिकों की सजगता भी सामने लाई। यह मामला एक चेतावनी है कि कैसे नकली मजबूरी दिखाकर भीख मांगने वाले गिरोह समाज में सक्रिय हो सकते हैं। साथ ही, यह भी स्पष्ट हुआ कि सोशल मीडिया के युग में आधुनिक दिखने वाली छवि भी असली चरित्र नहीं दर्शाती। पुलिस अब इस नेटवर्क की विस्तृत जांच में जुटी है।