
भराड़ीसैंण (चमोली) | कर्णप्रयाग के भराड़ीसैंण में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 800 से अधिक लोगों के साथ सामूहिक योगाभ्यास किया। योग दिवस के इस विशेष आयोजन में पारंपरिक अंदाज में मुख्यमंत्री का स्वागत किया गया। मंच पर उनके साथ कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, स्थानीय विधायक अनिल नौटियाल, प्रसिद्ध योग गुरु भारत भूषण और कई देशों के राजनयिक भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने “उत्तराखंड योग नीति” का औपचारिक लोकार्पण किया। यह नीति राज्य में योग को संगठित, समर्पित और संस्थागत स्वरूप देने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल मानी जा रही है। इसके माध्यम से योग शिक्षा, अनुसंधान, पर्यटन, और रोजगार के नए अवसरों को बढ़ावा देने की योजना है।
मुख्यमंत्री धामी ने बच्चों से भी संवाद किया और उनके योग के प्रति उत्साह को सराहा। उन्होंने कहा कि योग भारत की प्राचीनतम और गौरवशाली परंपरा का अमूल्य उपहार है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है, बल्कि व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण भी प्रदान करता है।
सीएम धामी ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर लिखा –
“योग भारत की गौरवशाली परंपरा का अमूल्य उपहार है। यह न केवल हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि हमारे दृष्टिकोण को भी सकारात्मक बनाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज योग देवभूमि उत्तराखंड से निकलकर संपूर्ण विश्व में अपनाया जा रहा है। आइए, हम सभी योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और स्वस्थ व संतुलित समाज के निर्माण में सहभागी बनें।”
इस अवसर पर उत्तराखंड ने न केवल पूरे भारत को बल्कि विश्व समुदाय को भी यह संदेश दिया कि यह राज्य योग, आध्यात्म और प्राकृतिक शांति का अंतरराष्ट्रीय केंद्र बनने की दिशा में लगातार अग्रसर है।
विशेष तथ्य:
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यह पहली बार है जब उत्तराखंड सरकार ने औपचारिक रूप से योग नीति बनाई है।
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नीति में योग संस्थानों की स्थापना, योग पर्यटन, शोध एवं रोजगार को प्राथमिकता दी गई है।
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कार्यक्रम में विदेशी राजनयिकों की उपस्थिति ने राज्य की इस पहल को वैश्विक मान्यता भी दिलाई।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड की यह योग नीति न केवल राज्य के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्वरूप को सुदृढ़ करेगी, बल्कि आर्थिक, शैक्षिक और पर्यटन के क्षेत्र में भी नए द्वार खोलेगी। योग दिवस पर इस नीति का विमोचन विश्व पटल पर उत्तराखंड की एक नई छवि प्रस्तुत करता है – ‘योग की भूमि, शांति की राजधानी’।