
अल्मोड़ा। रोजगार की तलाश में गांव छोड़कर जाने वाले लोगों के लिए महिला किसान कल्पना चौधरी स्वावलंबन की मिसाल हैं। मत्स्य पालन कर वह सालाना 1.25 लाख से अधिक आय अर्जित कर लखपति दीदी बन गईं हैं। पारकोट निवासी कल्पना इंटर पास हैं। परंपरागत खेती में फायदा न होने पर वर्ष 2018 में उन्होंने 100 वर्ग मीटर के तालाब बनाकर मत्स्य पालन की शुरुआत की।
पहले साल कई मछलियों की मौत हो गई और उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ा। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दूसरे साल बेहतर उत्पादन होने से उन्हें अच्छी आय हुई। कुछ समय बाद ही उन्होंने 40 वर्ग मीटर के एक और तालाब में मछली पालन शुरू किया। दोनों तालाबों में पंगास, सिल्वर, कॉमन कार्प, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प, रोहू आदि प्रजातियां पालीं। दोनों तालाबों से सालभर में साढ़े तीन क्विंटल से अधिक मछलियों का उत्पादन होता है।
कल्पना ने बताया कि पारंपरिक खेती के बजाय लोग मत्स्य पालन से आय अर्जित कर सकते हैं। बताया कि मत्स्य पालन के जरिये ही आज वह लखपति दीदी बनीं हैं। वर्ष 2024 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अल्मोड़ा में उन्हें मछली पालन के लिए पुरस्कृत किया था। 2008 में पति राजेंद्र प्रसाद चौधरी के निधन पर कल्पना पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। तीन बच्चों की परवरिश अकेले की। आज उनका बेटा कमल चौधरी राजस्व उप निरीक्षक है।
बेटी अंजना और निर्मला की शादी हो चुकी है। 61 साल की उम्र में भी कल्पना में युवाओं जैसी फुर्ती है। कल्पना की मछलियों की मांग स्थानीय बाजार में बहुत है। उन्होंने बताया कि कई लोग मछली खरीदने घर पर ही आ जाते हैं। उन्हें मछली बेचने के लिए बाजार के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं।