देहरादून। रेडक्रॉस की राज्य इकाई में विवाद बढ़ता जा रहा है। बीते दिनों राज्य मैनेजिंग कमेटी के दो सदस्यों समेत देहरादून जिला इकाई को नोटिस देने के बाद कई सदस्यों ने रेडक्रॉस पर अनियमितता का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
बता दें कि रेडक्रॉस सोसायटी राज्य मैनेजिंग कमेटी में उपसचिव की तैनाती से विवाद शुरू हुआ। राज्य मैनेजिंग कमेटी के सदस्य रहे अशोक लोहनी व देहरादून के मनोज गोविल ने सोसायटी के अध्यक्ष, उत्तराखंड के राज्यपाल को पत्र भेजकर रेडक्रॉस के कार्यों की जांच की मांग की है।
उन्होंने कहा कि मैनेजिंग कमेटी की ओर से रेडक्रॉस का ढांचा स्वीकृत किए बिना ही ढांचे के पद उपसचिव पद पर तैनाती कर दी गई और सीनियर कर्मचारियों से अधिक वेतन दिया जा रहा है। वेयर हाउस की गुणवत्ता पर भी ध्यान नहीं दिया गया। इन मामलों से नाराज उपसचिव ने कुछ लोगों को साथ लेकर 28 फरवरी को दो सदस्यों का पक्ष जाने बिना अन्य आरोप लगाते हुए पद से हटा दिया।
सदस्य अशोक लोहनी व मनोज गोविल ने आरोप लगाया है कि वर्तमान में कार्यप्रणाली से दुखी होकर महासचिव कर्नल डिमरी व इसके बाद नियुक्त महासचिव डॉ. एके गुंसाई ने अपने पदों से कुछ माह में ही इस्तीफा दे दिया। महासचिव डॉ. एके गुंसाई के इस्तीफे पर आरोप लगाते हुए कहा कि नियमानुसार रेडक्रॉस हित में कार्य नहीं किया जा रहा है जिस कारण वह इस्तीफा दे रहे हैं। इसके अलावा उक्त दो सदस्यों ने कहा है कि उनके पास कई सबूत ऐसे हैं जिनमें रेडक्रॉस के भीतर कई नियमों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
23 अप्रैल 2024 को हुई बैठक में मैनेजिंग कमेटी की एकमात्र महिला सदस्य नीरू भट्ट ने अपनी बात कहनी चाही तो उसे सुना नहीं गया। उसके बाद उन्होंने कमेटी पर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही रेडक्रॉस के संस्थापक महासचिव व पूर्व महानिदेशक डॉ. आईएस पाल ने भी कार्यवृत्त पर सवाल उठाए हैं।
दोनों सदस्यों ने राज्यपाल समेत मुख्य सचिव उत्तराखंड सरकार, राष्ट्रीय मुख्यालय से मामले की जांच करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष जांच की जाएगी तो कई अनियमितताएं सामने आ सकती हैं। उन्होंने जांच में उनके समेत पूर्व चार महासचिवों को भी आमंत्रित किए जाने की मांग की है। रेडक्रॉस संस्था पर इस तरह के आरोप लगने से कई चर्चाएं हैं।