देहरादून। प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों पर मैदान में उतरे 55 प्रत्याशियों के चुनावी एजेंडे से खेल और खिलाड़ियों के मुद्दे सिरे से गायब हैं। इसे लेकर राज्य का खिलाड़ी और युवा हताश हैं। राज्य में करीब 40 लाख युवा मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुटे उम्मीदवारों का प्रचार एक-दूसरे पर निशाना साधने और कमजोरियां बताने में गुजरा, जबकि राज्य के युवा प्रत्याशियों से यह उम्मीद कर रहे थे कि वह खेल संभावनाओं से भरपूर उत्तराखंड के नौजवानों के बारे में चर्चा करेंगे और उनके लिए खेल सुविधाओं का विस्तार करने का कोई रोडमैप सामने रखेंगे।
उत्तराखंड में खेल के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। कई प्रतिभाएं यहां से निकली हैं, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाकर प्रदेश और देश का गौरव बढ़ा चुकी हैं। खासकर उत्तराखंड की बेटियों का शानदार प्रदर्शन रहा है। ओलंपिक खेलों में हैट्रिक बनाने वाली पहली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया राज्य के हरिद्वार जिले की है।
कटारिया देश की पहली ऐसी महिला हॉकी खिलाड़ी हैं, जिसने 300वां अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच खेला है, जबकि मूल रूप से चमोली जिले के मजोठी गांव निवासी मानसी नेगी उत्तराखंड की वॉक रेसर हैं।
उन्हें गोल्डन गर्ल के नाम से भी जाना जाता है। मानसी ने अब तक 17 से अधिक मेडल जीते हैं। पिछले साल उन्होंने एक नेशनल रिकॉर्ड भी बनाया था। चीन में हुए वल्र् यूनिवर्सिटी गेम्स में मानसी ने 20 किमी रेस में कांस्य पदक जीता था। इसके अलावा भी उनके नाम कई अन्य रिकॉर्ड हैं।
वहीं, मूल रूप से अल्मोड़ा की रहने वाली एकता बिष्ट देश की अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट खिलाड़ी है। एकता उत्तराखंड की पहली महिला हैं, जिसने देश का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मैदान में प्रतिनिधित्व किया है। इसके अलावा बछेंद्री पाल, स्नेहा राणा सहित राज्य की कई अन्य बेटियों
उत्तराखंड में खेलों की रोजगार और आर्थिकी में अहम भूमिका हो सकती है। खेल अवस्थापना सुविधाओं का विकास कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार की जा सकती है। खेलों में अच्छे प्रदर्शन से खिलाड़ियों के लिए रोजगार के रास्ते खुलेंगे। वहीं, राज्य के विभिन्न खेल मैदानों के जरिये राज्य की आर्थिकी को बढ़ाया जा सकता है।
राज्य में विशिष्ट खिलाड़ियों को सम्मान देने एवं उन्हें उचित रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें, इसके लिए आउट ऑफ टर्न नियुक्ति की व्यवस्था की गई है। राज्य में खेलों को बढ़ावा देने एवं खिलाड़ियों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने के लिए मुख्यमंत्री खेल विकास निधि दी गई है। मुख्यमंत्री उदीयमान खिलाड़ी छात्रवृत्ति योजना एवं मुख्यमंत्री खिलाड़ी उन्नयन योजना शुरू की गई है
देखने में आया है कि विभिन्न खेल एसोसिएशनों पर राजनीति से जुड़े लोग काबिज हैं, ऐसे में कई बार खिलाड़ियों का चयन पारदर्शी तरीके से नहीं हो पाता। ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि राजनीति से जुड़े लोग एसोसिएशन से बाहर हों और उत्कृष्ट खिलाड़ियों को खेलों में प्रदर्शन का मौका मिले। -सुरेंद्र कनवासी, अर्जुन पुरस्कार विजेता
राजनीतिक दलों का खिलाड़ियों के मसले को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल न करना युवाओं संग अन्याय है। देश के खेलों के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पटल पर धाक जमाने के लिए बुनियादी सुविधाओं के साथ राजनीतिक दृढ़ संकल्प की जरूरत है, लेकिन खेलों के विकास का मुद्दा चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों की जुबां पर न आना युवाओं में निराशा पैदा कर रहा है। -डीएम लखेड़ा, सचिव देहरादून बेसबॉल संघ
खेलों की दुनिया में चमक बिखरने वाले कई नाम हैं, जिनका संबंध उत्तराखंड से है, लेकिन उन्होंने खुद के दम पर अपनी पहचान बनाई। बछेंद्री पाल, जसपाल राणा, मीर रंजन नेगी, वंदना कटारिया, लक्ष्य सेन सरीखे कई चर्चित खिलाड़ी राज्य के युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। इन खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में देश और राज्य का नाम रोशन किया। राज्य में ऐसे कई खिलाड़ी हैं, जो जसपाल राणा, वंदना कटारिया की तरह अपनी प्रतिभा की चमक बिखेर सकते हैं, लेकिन राज्य गठन के 23 साल बाद खेलों के बारे में गंभीरता से सोचा गया। लेकिन, चुनाव प्रचार में खेल और खिलाड़ियों के मुद्दों पर
चर्चा न होना बता रहा है कि अभी भी खेलों को लेकर राजनीतिक सोच नहीं बन पा रही है।