देहरादून/ रुद्रप्रयाग/श्रीनगर। संगीत नाटक अकादमी ने वर्ष 2019, 2020 और 2021 के लिए 128 कलाकारों को अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की है। इनमें उत्तराखंड के प्रो. दाताराम पुरोहित को लोकसंगीत और नाट्य विधा के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। देशभर से चुने गए 102 कलाकारों में उत्तराखंड से लोकसंगीत के लिए बीरेंदर सिंह, रेशमा शाह और पूरन सिंह शामिल है। इसके अलावा 86 कलाकारों को अमृत पुरस्कार दिया जाएगा। उसमें उत्तराखंड के लोक संगीत और नृत्य क्षेत्र से भैरव दत्त तिवारी, जगदीश ढौंडियाल, नारायण सिंह और जुगल किशोर पेटशाली शामल है।
गढ़वाल केंद्रीय विवि के लोक संस्कृति एवं निष्पादन केंद्र के पूर्व निदेशक एवं अंग्रेजी के प्रोफेसर दाताराम पुरोहित को संगीत नाटक अकादमी की ओर से पुरस्कार मिलने की खबर से रंगकर्मी और साहित्य जगत में खुशी की लहर है। डॉ. पुरोहित ने रम्माण, चक्रव्यूह, नंदा जागर को राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई है।
रुद्रप्रयाग जनपद के क्वीली-कुरझण गांव निवासी डा. दाताराम पुरोहित ने लोक संस्कृति को नया आयाम दिया है। रामकथाओं में सबसे प्राचीन भल्दा परंपरा की मुखौटा शैली रम्माण से लेकर केदारघाटी के प्रसिद्ध पांडव नृत्य में चक्रव्यूह और श्रीनंदा देवी की पौराणिक लोक जागर, पंडवाणी, बगड्वाली, शैलनट, रंगमंच, ढोल और ढोल वादन के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष कार्य किया है। उन्होंने उत्तराखंड की लोक संस्कृति को संजोते हुए देश ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाने का काम किया है।
डॉ. पुरोहित को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के लिए चयनित होने पर उनके गांव में भी लोगों में उत्साह है। गांव के शिक्षाविद् चंद्रशेखर पुरोहित, एसपी पुरोहित को कहना है कि लोक संस्कृति के संरक्षण में उनके प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। वरिष्ठ पत्रकार रमेश पहाड़ी, रंगकर्मी आचार्य कृष्णानंद नौटियाल, लोक कवि ओम प्रकाश सेमवाल, मानवेंद्र नेगी, राजेद्र प्रसाद गोस्वामी, मुरली दीवान, एपी मलासी ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि डा. पुरोहित के जीवभर लोक साहित्य में किए गए कार्यों का पुरस्कार है।
लोक गायिका रेशमा शाह जौनसार बावर में खूब लोकप्रिय हैं। वह कई मंचों पर अपनी आवाज का जादू बिखेर चुकी हैं। रेशमा शाह मूल रूप से टिहरी जिले के नैनबाग के ग्राम सणब की निवासी हैं, लेकिन जौनसार बावर से उनका विशेष लगाव रहा। वर्ष 1998 में उन्होंने गायिकी की शुरुआत की और पहला गाना रिकॉर्ड किया।
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिलने पर रेशमा शाह ने कहा कि उन पर महासू देवता का विशेष आशीर्वाद है। भले ही उनका जन्म नैनबाग में हुआ, लेकिन उनका दिल जौनसार बावर में बसता है। उन्होंने बताया कि वह जौनसारी, गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनपुरी आदि भाषाओं में सैकड़ों गीत गा चुकी हैं। न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, कुवैत, दुबई आदि देशों में भी प्रस्तुति दे चुकी हैं। उन्हें बचपन से ही गायन का शौक था।