पूर्व में सड़कों के हस्तांतरण के लिए संयुक्त निरीक्षण और तमाम औपचारिकताएं निभानी पड़ती थीं, जिसमें समय अधिक लगता था। बीते दिनों हुई बैठक में तय किया गया कि सड़कें जिस स्थिति में बिना संयुक्त निरीक्षण के तत्काल लोनिवि को सौंप दी जाएं।
– गणेश जोशी, ग्राम्य विकास मंत्री
सड़कों के हस्तांतरण की प्रक्रिया पर तेजी से काम किया जा रहा है। इसके साथ ही खराब सड़कों के सुधारीकरण के लिए एस्टीमेट भी तैयार किए जा रहे, ताकि शीघ्र सड़कों के सुधारीकरण का काम किया जा सके।
– अयाज अहमद, प्रमुख अभियंता, लोनिवि
कुछ सड़कें ऐसी हैं, जिन्हें पांच साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी तक उनका हस्तांतरण नहीं हो पाया है। ऐसी सड़कों की स्थिति ज्यादा खराब है। अब शासन स्तर पर इस काम में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं।
– रवि प्रताप सिंह, मुख्य अभियंता, पीएमजीएसवाई
देहरादून। शासन में बैठे अधिकारियों की कार्य के प्रति अनदेखी का एक और उदाहरण सामने आया है। मुख्य सचिव के निर्देश के बाद भी पीएमजीएसवाई की 204 सड़कें लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित नहीं हो पाई हैं। ऐसे में ये सड़कें खस्ताहाल स्थिति में भगवान भरोसे ही हैं।
प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाई गईं सड़कों की हालत किसी से छिपी नहीं है। नियम है कि निर्माण के पांच साल बाद पीएमजीएसवाई की सड़कों को लोनिवि को हस्तांतरित कर दिया जाए, ताकि सड़कों का बराबर रखरखाव होता रहे, लेकिन यहां स्थिति ऐसी है कि कई सड़कें 10 से 15 साल बाद भी हस्तांतरित नहीं हो पाई हैं। ऐसी कुल सड़कों की संख्या 501 थी।
अक्तूबर में मुख्य सचिव ने इसका संज्ञान लेते हुए 15 दिन में इन सड़कों हस्तांतरित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन तब से अब तक मात्र 297 सड़कें ही लोनिवि को सौंपी गई हैं। यह प्रक्रिया भी तक शुरू हो पाई, जब शासन ने इस पर सख्त रुख दिखाया।
गौरतलब हो कि 501 सड़कों की कुल लंबाई 3,576 किमी है, जबकि इनमें से 1,719 किमी लंबाई की 297 सड़कें लोक निर्माण विभाग को सौंपी जा चुकी हैं, जबकि 1,857 किमी लंबाई की 204 सड़कें अब भी अधर में लटकी हुई हैं। यह सभी सड़कें बेहद खस्ताहाल स्थिति में हैं, जिसके चलते ग्रामीणों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।