उत्तरकाशी। यमुनोत्री धाम के कपाट आज गुरुवार को भैया दूज पर्व पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12 बजकर नौ मिनट पूजा-अर्चना व विधि विधान के साथ बंद किए गए। इस अवसर पर खरसाली से शनि महाराज की डोली अपनी बहन यमुना को मिलने और लेने के लिए यमुनोत्री धाम पहुंचाई गई।
इस दौरान तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं की भीड़ भी उमड़ी करीब 2000 श्रद्धालु का कपाट बंद होने के अवसर पर यमुनोत्री धाम में मौजूद रहे। कपाट बंदी के बाद मां यमुना की डोली खरशाली के लिए रवाना हो गई। इस वर्ष यमुनोत्री धाम में 4.78 लाख यात्री पहुंचे। इससे पहले गुरुवार को केदारनाथ और बुधवार को गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके हैं।
विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार को अन्नकूट पर्व पर बुधवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। दोपहर ठीक 12.01 बजे कपाटबंदी के बाद मां गंगा की डोली जयकारों के साथ शीतकालीन प्रवास मुखवा के लिए रवाना हुई। तीन हजार से ज्यादा तीर्थयात्री कपाटबंदी के साक्षी बने।
इस सीजन में गंगोत्री धाम में 6.25 लाख से अधिक तीर्थयात्री पहुंचे। कपाट बंद होने के बाद अब देश-विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन मुखीमठ (मुखवा) में कर सकेंगे। बुधवार सुबह 10.15 बजे मां गंगा के मुकुट को उतारा गया, जिसके बाद श्रद्धालुओं ने निर्वाण के दर्शन किए। वेद मंत्रों के साथ मां गंगा की मूर्ति का महाभिषेक किया गया। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मां गंगा के दर्शन कर जयकारे लगाए।
विधिवत हवन पूजा-अर्चना के साथ दोपहर 12.01 बजे अभिजीत मुहूर्त में कपाट बंद हुए और मां गंगा की डोली लेकर तीर्थ पुरोहित मुखवा के लिए रवाना हुए। बुधवार को मां गंगा की डोली रात्रि में चंडी देवी मंदिर में विश्राम करेगी और गुरुवार को डोली मुखवा स्थित गंगा मंदिर पहुंचेगी।
बुधवार गंगोत्री से नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में जलाभिषेक के लिए गंगाजल कलश रवाना हुआ। गंगोत्री धाम से हर वर्ष गंगाजल को लेकर तीर्थ पुरोहित पशुपतिनाथ और रामेश्वरम जाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। अब इस परंपरा को भव्य रूप दिया गया है। पिछले 20 वर्षों से पशुपतिनाथ के लिए गंगाजल कलश यात्रा के रूप में जाता है, जबकि रामेश्वरम के लिए तीर्थ पुरोहित कलश में गंगाजल भरकर ले जाते हैं।