
उत्तराखंड में लंबे समय से जारी मौसम की बेरुखी अब सीधे तौर पर हवा की सेहत पर असर डालने लगी है। सर्दियों के मौसम में जहां आमतौर पर बारिश और ठंड से राहत मिलती है, वहीं इस बार अक्टूबर और नवंबर के कुछेक दिनों को छोड़ दिया जाए तो पूरे प्रदेश में अब तक सर्दियों की बारिश का आंकड़ा लगभग शून्य बना हुआ है। इसी का परिणाम है कि देहरादून समेत कई इलाकों में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है और आम जनजीवन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव साफ दिखाई देने लगा है।
मंगलवार को देहरादून का एयर क्वालिटी इंडेक्स 207 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। वहीं काशीपुर का AQI 128 और ऋषिकेश का 85 रिकॉर्ड किया गया। विशेषज्ञों के अनुसार बारिश न होने से धूल और सूक्ष्म कण वातावरण में जमा हो जाते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि आने वाले दिनों में कोहरा और अधिक गहराता है तो मैदानी इलाकों में हवा की गुणवत्ता और भी खराब हो सकती है। फिलहाल मैदान से लेकर पहाड़ तक सूखी ठंड लोगों को परेशान कर रही है।
तापमान के आंकड़े भी इस असामान्य मौसम की कहानी बयां कर रहे हैं। देहरादून में मंगलवार को अधिकतम तापमान सामान्य से लगभग पांच डिग्री अधिक 26.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान भी सामान्य के आसपास बना हुआ है। प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं। मौसम विभाग के अनुसार बुधवार को भी प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहने की संभावना है। खासतौर पर हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर जिले के कुछ क्षेत्रों में कोहरा छाए रहने के आसार जताए गए हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस स्थिति को लेकर चिंता जताई है। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. विजय भंडारी के अनुसार बारिश न होने से हवा में धूल और प्रदूषक कणों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे अस्थमा, एलर्जी, फेफड़ों के संक्रमण और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों और बुजुर्गों पर इसका प्रभाव अधिक पड़ता है, इसलिए लोगों को बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करने और अनावश्यक रूप से खुले में रहने से बचने की सलाह दी गई है।
दिसंबर के महीने में गर्मी के नए रिकॉर्ड भी चिंता बढ़ाने वाले हैं। इस वर्ष आधे दिसंबर में इतनी गर्मी पहले कभी दर्ज नहीं की गई थी। इससे पहले आठ दिसंबर को भी देहरादून में आठ साल बाद असामान्य गर्मी देखने को मिली थी, जब अधिकतम तापमान 27.9 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। पिछले दस वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो किसी भी वर्ष 16 दिसंबर को इतना अधिक तापमान दर्ज नहीं हुआ था।
हालांकि मौसम विभाग ने राहत की कुछ उम्मीद भी जताई है। पूर्वानुमान के अनुसार प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में चार दिन बाद मौसम बदल सकता है। 20 दिसंबर तक प्रदेश भर में मौसम शुष्क रहने की संभावना है, जबकि 21 दिसंबर को उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जिले के कुछ हिस्सों में बारिश होने के आसार हैं। 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना भी जताई गई है। तब तक लोगों को खराब हवा और असामान्य गर्मी के बीच सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।




