
देहरादून। उत्तराखंड की मुख्य बिजली वितरण कंपनी यूपीसीएल ने बुधवार को नियामक आयोग के समक्ष बिजली दरों में लगभग 16 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव पेश किया। निगम के अनुसार, पिछले 9 वर्षों में हुए खर्चों, पूंजी निवेश, और बदली आर्थिक स्थिति सहित कुल राजस्व-फारक राशि करीब 2,000 करोड़ रुपये हो गई है — जिसे दरें बढ़ा कर भरा जाना चाहिए। इसी आधार पर True-Up सहित बिजली शुल्कों में कुल 16% तक की बढ़ोतरी की मांग की गई है।
यूपीसीएल की पिछली मांग करीब 12% थी, लेकिन प्रस्ताव लागत, पूंजी व्यय, तथा अन्य वित्तीय गेप को देखते हुए अब यह दर बढ़कर 16% तक चली गई है। नियामक आयोग अब इस याचिका पर जन-सुनवाई करेगा, उपभोक्ताओं की राय लेगा — उसके बाद ही नई दरें लागू होंगी।
पिछली बार, आयोग ने बिजली दरों में प्रस्तावित 12% वृद्धि के मुकाबले सिर्फ 5.62% वृद्धि स्वीकार की थी। अब यह प्रस्ताव—यानी 16%—स्वीकार हुआ, तो उपभोक्ताओं के मासिक बिजली बिलों पर असर पड़ेगा, खासकर उन लोगों के लिए जो कम बिजली खर्च करते हैं।
उपभोक्ता समूह और आलोचक पहले ही इस प्रस्ताव को लेकर सतर्क हैं। उनका कहना है कि बजट व प्राथमिकताएं सुधारने के बजाय हर बार दरें बढ़ाना उपभोक्ताओं पर बोझ है। उन्होंने सुझाव दिया है कि निगम को बिजली चोरी रोकने, वितरण दक्षता बढ़ाने और वित्तीय प्रबंधन सुधारने पर ध्यान देना चाहिए.




