
कानपुर। कर्मचारी नेता भूपेश अवस्थी से जुड़े विवाद में मंगलवार को नया मोड़ तब आया जब उनके खिलाफ विपक्षियों ने तीन नए वीडियो जारी कर गंभीर आरोप लगाए। सोमवार को वायरल हुए पहले वीडियो के 24 घंटे बाद आए इन तीन वीडियो में अखिलेश दुबे मुक्ति मोर्चा से जुड़े सदस्यों ने लखनऊ के कुछ अधिकारियों पर संरक्षण देने का आरोप लगाया है। दावा किया गया है कि इन्हीं अधिकारियों के दबाव में पुलिस ने भूपेश अवस्थी और उनसे जुड़े गिरोह के खिलाफ दर्ज कुल 37 शिकायतों में क्लीन चिट दे दी। इस पूरी प्रक्रिया को संदिग्ध बताते हुए वीडियो जारी करने वालों ने सीधे तौर पर CBI और ED से जांच कराने की मांग की है।
पहले वीडियो में सौरभ भदौरिया ने आरोप लगाया कि अखिलेश दुबे और भूपेश अवस्थी का गिरोह पिछले चार दशक से जमीन, पार्क और सरकारी संपत्तियों पर कब्जा जमाने के लिए छेड़छाड़, दुष्कर्म, पॉक्सो, मादक पदार्थ तस्करी और अन्य गंभीर धाराओं में फर्जी एफआईआर दर्ज कराता रहा। उन्होंने बताया कि इस गिरोह की शिकायतें तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार तक पहुंचीं, जिन्होंने एसआईटी जांच कराई। कई भाजपा नेताओं सहित दर्जनों लोगों ने इन पर मामले दर्ज कराए। भदौरिया ने दावा किया कि 2500 करोड़ से अधिक की सरकारी जमीनें हथियाने का प्रयास किया गया, और अदालत द्वारा 30 अक्टूबर को एनबीडब्ल्यू जारी होने के बावजूद पुलिस आज तक गिरफ्तारी नहीं कर सकी। उनका कहना है कि यह मामला CBI और ED जांच का पात्र है क्योंकि पुलिस पर आरोपियों को बचाने का दबाव बताया जा रहा है।
दूसरे वीडियो में आशीष शुक्ला ने 1984 में उनकी समिति को आवंटित जमीन के विवाद का ज़िक्र किया। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा उनके पक्ष में स्पष्ट आदेश आने के बावजूद आरोपी पक्ष के प्रभाव के कारण इन आदेशों का पालन नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश दुबे और भूपेश अवस्थी सहित कई लोगों ने संगठित गिरोह बनाकर जमीन को पार्क दिखाकर कब्जाने का प्रयास किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भूपेश अवस्थी ने उनके बेटे की मार्कशीट को फर्जी घोषित करवाकर गैंगस्टर अरिदमन सिंह से उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया। वीडियो में शुक्ला ने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील भी की।
तीसरे वीडियो में प्रज्ञा त्रिवेदी के अधिवक्ता ने सिर्फ 47 सेकेंड के वीडियो में पुलिस कमिश्नर पर सीधा आरोप लगाया। उनका कहना है कि भूपेश अवस्थी के खिलाफ कोर्ट द्वारा जारी एनबीडब्ल्यू होने के बावजूद गिरफ्तारी नहीं हो रही है। उन्होंने दावा किया कि कानपुर के पुलिस कमिश्नर आईपीएस अमिताभ यश के प्रभाव में पुलिस कार्रवाई से बच रही है, जिससे आम नागरिकों का उत्पीड़न बढ़ रहा है। इन लगातार वायरल हो रहे वीडियो और आरोपों के बीच पुलिस कमिश्नर रघुबीर लाल ने कहा कि कोई भी वीडियो बनाकर अपना पक्ष रख सकता है, लेकिन पुलिस के लिए भूपेश अवस्थी एक वांछित आरोपी हैं।
उनके खिलाफ जारी एनबीडब्ल्यू पर कार्रवाई जारी है। उन्होंने साफ कहा कि अखिलेश दुबे को क्लीन चिट एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर दी गई थी और किसी भी अधिकारी द्वारा दबाव डालने की बात निराधार है। लगातार सामने आ रहे वीडियो, बढ़ते विवाद और गंभीर आरोपों ने इस पूरे मामले को और जटिल बना दिया है। फिलहाल, विपक्षी पक्ष की मांग है कि इस मामले की जाँच राज्य पुलिस नहीं, बल्कि केंद्रीय एजेंसियों से कराई जाए ताकि सत्य बाहर आ सके।






