
आगरा | आगरा निवासी आर्मी बेस वर्कशॉप में तैनात एक कर्मचारी के साथ ऐसा खौफनाक अपराध हुआ जिसने पूरे इलाके को दहला दिया है। विभागीय तारीख पर प्रयागराज गए इस कर्मचारी को न्यायालय परिसर से लौटते समय ऑटो में बैठे बदमाशों ने फिल्मी अंदाज़ में अगवा कर लिया और कई घंटों तक एक फ्लैट में बंधक बनाकर अमानवीय यातनाएं दीं। पीड़ित के गुप्तांग में करंट लगाया गया, बेरहमी से पिटाई की गई, धमकाया गया और उसकी पहचान पत्रों और मोबाइल फोन छीनकर गन प्वाइंट पर उसके बैंक खातों से 11 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए गए। इतना ही नहीं, ब्लैकमेलिंग की मंशा से बदमाशों ने एक महिला को बुलाकर पीड़ित के साथ आपत्तिजनक फोटो और वीडियो भी बनाए और उससे लिखवाया कि महिला से रिश्ते के कारण ही वह रुपये दे रहा है।
पीड़ित पावन धाम कॉलोनी शमसाबाद का निवासी है और दिनांक 26 नवंबर को प्रयागराज स्थित ट्रिब्यूनल कोर्ट में विभागीय सुनवाई के लिए गया था। सुनवाई समाप्त होने के बाद दोपहर लगभग 2:45 बजे वह रेलवे स्टेशन जाने के लिए कोर्ट के बाहर से ऑटो में बैठा। ऑटो में पहले से एक व्यक्ति मौजूद था और कुछ ही देर बाद एक और आदमी आकर बैठ गया। रास्ते में बदमाशों ने पीड़ित को कुछ सूंघा दिया जिससे वह अचेत हो गया। जब रात करीब 11 बजे उसकी आँखें खुलीं, उसने खुद को एक अज्ञात फ्लैट में बंधक पाया जहाँ ऑटो में दिखा एक बदमाश किसी से फोन पर लखनऊ में होने की बात कर रहा था।
इसके बाद पीड़ित की पीड़ा का असली दौर शुरू हुआ। उसे बांधकर उसके गुप्तांग में करंट लगाया गया, पिटाई की गई और लगातार धमकाया गया। बदमाशों ने मोबाइल फोन छीनकर उसकी बैंकिंग जानकारी हासिल की और गन प्वाइंट पर उससे 11 लाख रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर कराए। वे उसकी तीन सोने की अंगूठियाँ भी छीन ले गए। इतना ही नहीं, एक महिला को बुलाकर पीड़ित के साथ जबरन आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो बनाए गए और ब्लैकमेलिंग के लिए एक कागज पर लिखवाया गया कि वह महिला से संबंधों के कारण ही पैसे और अंगूठियाँ दे रहा है।
अगले दिन आरोपी उसे एक सुनसान जगह पर ले गए और कार से नीचे फेंककर भाग निकले। पीड़ित किसी तरह घर पहुँच पाया और 28 नवंबर को एकता थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंचा लेकिन उसे बताया गया कि घटना प्रयागराज की सीमा में हुई है, इसलिए वह वहीं शिकायत दर्ज करे। थाने के इस रवैये से पीड़ित बेहद आहत है क्योंकि घटनास्थल, अपहरण और बंधक बनाकर रखे जाने के संबंध में विस्तृत जानकारी देने के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
पूरे प्रकरण ने कानून व्यवस्था और पीड़ित के साथ हुए व्यवहार पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। एक सरकारी कर्मचारी को दिनदहाड़े अगवा कर घंटों तक प्रताड़ित किया जाना और लाखों रुपये छीने जाना न सिर्फ अपराधियों की निर्भीकता दर्शाता है बल्कि यह भी उजागर करता है कि संगठित गिरोह किस तरह बड़े शहरों में सक्रिय हैं। पीड़ित अब न्याय की उम्मीद में इधर-उधर भटक रहा है और चाहता है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द कार्रवाई हो तथा इस अपराध में शामिल सभी आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए।






