
हल्द्वानी। हल्द्वानी में फर्जी प्रमाण पत्र बनवाने के बड़े खेल का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि पिछले 19 साल से एक ऐसी सोसाइटी के नाम पर जाति, स्थाई निवास और जन्म प्रमाण पत्रों के लिए संस्तुति पत्र जारी किए जा रहे थे, जो असल में अस्तित्व में ही नहीं है। यह पूरा खेल साहूकारा लाइन में बैठे एक दुकानदार रईस अहमद अंसारी द्वारा संचालित किया जा रहा था, जो वर्ष 2007 से इस सोसाइटी के नाम पर अवैध रूप से लोगों को प्रमाण पत्र दिलाने की सिफारिशें जारी कर रहा था।
जांच का मामला तब सामने आया जब एक आवेदन के साथ ‘अंजुमन मोमिन अंसार, आजादनगर हल्द्वानी’ नाम की सोसाइटी का संस्तुति पत्र लगा मिला। उपजिलाधिकारी राहुल शाह की टीम जब इस पते पर पहुंची तो वहां ऐसी कोई सोसाइटी नहीं मिली। आगे की पूछताछ में पता चला कि रईस अहमद अंसारी ही लंबे समय से उक्त सोसाइटी के नाम पर सिफारिश पत्र जारी कर रहा है। उसकी दुकान पर छापेमारी के दौरान उसने स्वीकार किया कि 2007 से वह ऐसा कर रहा है। जब उससे संस्था के कागजात और सदस्यों की सूची मांगी गई तो वह एक भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका।
प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी दुकानदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और ऐसे सभी संस्तुति पत्रों के आधार पर बने प्रमाण पत्रों की जांच के आदेश दिए हैं। टीम ने उसके पास से संबंधित दस्तावेज जब्त कर लिए हैं। अब यह भी जांच की जा रही है कि सोसाइटी के नाम पर और कौन-कौन सी गतिविधियां चलाई गईं और किन-किन लोगों ने इस फर्जी सोसाइटी के कागजों का लाभ उठाया।
जांच में यह भी सामने आया कि सोसाइटी का नवीनीकरण वर्ष 2007 से नहीं हुआ है और उसके अध्यक्ष तथा महासचिव दोनों का ही निधन हो चुका है। इसके बाद भी एक अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा सोसाइटी का संचालन किया जाता रहा और अवैध रूप से प्रमाण पत्र जारी होते रहे, जबकि किसी ऐसी संस्था को इस तरह का प्रमाण पत्र जारी करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता।
जांच के दौरान अधिकारियों को और भी कई तरह की गड़बड़ियां मिलीं। कई आवेदन फर्जी मोबाइल नंबर और आधार नंबर पर आधारित थे। एक आवेदन तो ऐसा मिला जिसमें फोन और आधार दोनों की जगह एक ही फोन नंबर दर्ज किया गया था। जब एसडीएम ने उस नंबर पर संपर्क कर सत्यापन करना चाहा तो सामने से जवाब मिला—“हमने तो कोई आवेदन किया ही नहीं है।”
इसके अलावा कई बिजली और पानी के बिल भी संदेहास्पद पाए गए, जिनमें नाम किसी और व्यक्ति का था जबकि पता किसी और का। ऐसी सभी गड़बड़ियों की जांच के लिए ऊर्जा निगम और जल संस्थान से भी मदद ली जा रही है। हल्द्वानी तहसील में कुल 1200 प्रमाण पत्रों की जांच की जानी है, जिनमें से 200 की जांच पूरी की जा चुकी है। अब तक मिली भारी अनियमितताओं को देखते हुए प्रशासन पूरे मामले का गहराई से सत्यापन कर रहा है। उपजिलाधिकारी राहुल शाह का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही यह पता चल सकेगा कि कितने प्रमाण पत्र वास्तव में निरस्त किए जाएंगे।
यह खुलासा प्रशासनिक सतर्कता पर भी सवाल खड़े करता है कि आखिर 19 वर्षों तक यह फर्जी सोसाइटी बिना किसी रोक-टोक के कैसे संचालन में बनी रही। अब पूरा मामला बड़े फर्जीवाड़े के रूप में प्रकाश में आते ही प्रशासनिक एजेंसियां सतर्क हो गई हैं और आगे और कार्रवाइयां होने की संभावना है।




