
नैनीताल। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद ने इस वर्ष के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। बोर्ड की ओर से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब सभी विषयों के प्रश्नपत्रों में 20 प्रतिशत प्रश्न हाई ऑर्डर थिंकिंग स्किल (HOTS—उच्च कोटि चिंतन कौशल) आधारित होंगे। इस निर्णय का उद्देश्य परीक्षार्थियों की वास्तविक समझ, विश्लेषण क्षमता और ज्ञान के उपयोग को परखना है, न कि केवल रटने पर आधारित उत्तरों को।
बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि बदलती शिक्षा प्रणाली और भविष्य की प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव आवश्यक था। HOTS प्रश्न छात्रों को गहराई से सोचने, जानकारी का विश्लेषण करने, वैकल्पिक समाधान खोजने और सीखे हुए ज्ञान को वास्तविक परिस्थितियों में लागू करने की क्षमता विकसित करते हैं। इससे परीक्षार्थियों के भीतर समस्या समाधान, तर्क और रचनात्मकता जैसे कौशल मजबूत होंगे।
विशेषज्ञों के अनुसार, हाई ऑर्डर थिंकिंग स्किल्स में ऐसे प्रश्न शामिल किए जाते हैं जो मात्र याद की गई सामग्री पर आधारित नहीं होते, बल्कि उनसे छात्रों के मूल्यांकन (Evaluation), विश्लेषण (Analysis), और सृजन (Creation) जैसी क्षमताओं की जांच की जाती है। इससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि परीक्षार्थी ने विषय को वास्तव में समझकर पढ़ा है या केवल लिखने के लिए बातें याद की हैं।
बोर्ड की ओर से बताया गया है कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों स्तरों पर यह व्यवस्था लागू की जाएगी। प्रत्येक विषय के प्रश्नपत्र में 20 प्रतिशत HOTS प्रश्न होंगे। इससे बोर्ड परीक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी और परीक्षार्थियों को इंटरमीडिएट के बाद होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं—जैसे इंजीनियरिंग, मेडिकल, प्रशासनिक सेवाएं और उच्च शिक्षा प्रवेश—में स्पष्ट लाभ मिलेगा।
अपर सचिव बृजमोहन रावत ने यह भी कहा कि इस नई प्रणाली को लागू करने के लिए बोर्ड स्तर पर विस्तृत तैयारी शुरू कर दी गई है। प्रश्नपत्र निर्माण में विषय विशेषज्ञों की सहायता से नए प्रकार के प्रश्न विकसित किए जा रहे हैं ताकि परीक्षा प्रणाली अधिक वैज्ञानिक और प्रभावी बन सके।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्कूल स्तर पर बच्चों को HOTS आधारित पढ़ाई के लिए प्रेरित किया गया, तो भविष्य में छात्रों की सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा। यह बदलाव उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली को और प्रतिस्पर्धी एवं आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।




