
देहरादून। कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर एक बार फिर बयानबाजी तेज हो गई है। चुनाव प्रबंधन समिति के प्रभारी हरक सिंह रावत के हालिया बयान ने वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के साथ मतभेद की एक और कड़ी जोड़ दी है। हरक सिंह ने कहा था कि आगामी 2027 विधानसभा चुनाव में पार्टी “घिसे-पिटे” नेताओं को टिकट नहीं देगी, उन्हें “फ्यूज कारतूस” बताते हुए उन्होंने साफ संकेत दिया कि कांग्रेस अब नए और जीतने वाले चेहरों पर दांव लगाएगी।
हरक सिंह रावत का मानना है कि विधानसभा चुनाव में हर सीट महत्वपूर्ण है, और पार्टी अब हर क्षेत्र में प्रदर्शन और संभावनाओं के आधार पर टिकट वितरित करेगी। उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि पुराना नेता हर बार जीत सके, क्योंकि कई बार वही सीट के लिए बोझ भी बन जाता है। उनके अनुसार, इस बार पार्टी किसी भी तरह की परंपरागत सोच से ऊपर उठकर केवल जीतने की क्षमता वाले प्रत्याशी को मौका देगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कांग्रेस को आक्रामक और प्रभावी उम्मीदवार चाहिए, जो चुनाव मैदान में मजबूती से उतर सके।
इस बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने असहमति जताते हुए तीखा किन्तु संयत जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “फ्यूज कारतूस” कहकर पुराने नेताओं को यूं ही खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि वही कारतूस कभी दुश्मन को गिराने के काम आए होते हैं। हरीश रावत ने उदाहरण देते हुए कहा कि घरों में बुजुर्गों की तस्वीरें यूं ही नहीं लगाई जातीं—वे अपनी भूमिका और योगदान के कारण सम्मानित होते हैं। उन्होंने इशारों में बताया कि 2027 के चुनाव में समय और परिस्थितियों के हिसाब से हर नेता की उपयोगिता तय होगी।
इसी बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने भी अपनी राय रखते हुए कहा कि टिकट उसी को मिलना चाहिए जिसमें जीतने की वास्तविक क्षमता हो। उन्होंने कहा कि वे यह सिद्धांत खुद पर भी लागू करते हैं, और यदि किसी तटस्थ सर्वे में वे जीत की स्थिति में नहीं पाए जाते तो टिकट किसी अन्य सक्षम उम्मीदवार को मिलना चाहिए। यह बयान संगठन में बढ़ती पारदर्शिता और विजयी रणनीति अपनाने की इच्छा को भी दर्शाता है।
कुल मिलाकर, टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस में पुराने और नए नेताओं के बीच मतभेद फिर उभर आए हैं। जबकि एक पक्ष बदलाव और नए चेहरों पर जोर दे रहा है, वहीं दूसरा अनुभव और पुराने योगदान के सम्मान के साथ संतुलन की बात कर रहा है। आने वाले समय में पार्टी का यह आंतरिक विमर्श किस दिशा में जाता है, यह 2027 के चुनावी समीकरणों को काफी हद तक प्रभावित करेगा।




