
हल्द्वानी में रविवार रात तब हालात अचानक तनावपूर्ण हो गए जब उजाला नगर क्षेत्र स्थित एक मंदिर के पास गोवंश के अवशेष मिलने की खबर आग की तरह फैल गई। देखते ही देखते बरेली रोड पर जुटी भीड़ ने माहौल को इतना गर्म कर दिया कि चार घंटे तक पूरा इलाका डर, अफरातफरी और भ्रम की चपेट में रहा। शाम ढलते-ढलते दुकानें बंद हो गईं, शटर तेजी से गिरने लगे और लोगों में यह आशंका गहराने लगी कि कहीं शहर फिर किसी बड़ी साम्प्रदायिक घटना की गिरफ्त में न आ जाए। रात साढ़े सात बजे मंदिर के पास कटे हुए सिर जैसे अवशेष देखे गए, जिसके बाद यह सूचना कुछ ही मिनटों में पूरे क्षेत्र में फैल गई।
सूचना मिलते ही आसपास के कई युवक मौके पर पहुंच गए और नारेबाजी शुरू कर दी। कुछ ही देर में कई थानों की पुलिस और अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच चुके थे। फोरेंसिक टीम ने अवशेषों की जांच शुरू की, लेकिन भीड़ लगातार बढ़ती गई और उसका आक्रोश भी। बरेली रोड पर मौजूद लोगों का जमा होना इतना तेज था कि कुछ ही समय में सड़क जाम होने की स्थिति बन गई। इसी दौरान कुछ युवकों ने एक कार में तोड़फोड़ की और स्थिति धीरे-धीरे हिंसक रूप लेने लगी। तनाव उस वक्त और बढ़ गया जब भीड़ में मौजूद कुछ युवकों ने शमा डीलक्स रेस्टोरेंट पर पथराव कर दिया। पत्थरों की बौछार से रेस्टोरेंट के शीशे टूटकर सड़क पर बिखर गए। उस समय अंदर खाना खा रहे लोग जान बचाकर बाहर की ओर दौड़े। पुलिस पर भी पथराव हुआ, जिसके बाद हालात काबू में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। लाठीचार्ज के बाद भगदड़ मच गई और कई लोग भागकर दूर निकल गए, जबकि कुछ युवकों को पुलिस ने मौके से हिरासत में ले लिया।
यह परिस्थिति और न बिगड़े इसके लिए तुरंत महापौर गजराज सिंह बिष्ट घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से बात की और भीड़ को शांत करने की कोशिश की। इस बीच पुलिस ने घटनास्थल के आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू कर दी। जब एक गली के मकान की फुटेज सामने आई तो पूरे मामले में बड़ा मोड़ आया। वीडियो में साफ दिखा कि अवशेष किसी इंसान द्वारा नहीं, बल्कि एक कुत्ते द्वारा लाए गए थे। कुत्ता अपने मुंह में सिर दबाए मौके तक आया और उसे एक घर के पास छोड़कर चला गया। यह सामने आने के बाद पुलिस ने इलाके में और गहन जांच शुरू कर दी।
हालात सामान्य करने के लिए पुलिस और प्रशासन ने पूरे उजाला नगर क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी। पीएसी की कंपनियाँ तैनात की गईं। शहर की मुख्य सड़कों पर फ्लैग मार्च निकाला गया ताकि लोगों के मन में भरोसा पैदा हो सके। चार सीओ, सभी थानाध्यक्ष, पीएसी बल और अतिरिक्त पुलिस फोर्स को तैनाती पर रखा गया। एसएसपी ने साफ कहा कि आवश्यकता पड़ने पर पैरामिलिट्री फोर्स भी बुलाई जाएगी। घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए स्थानीय कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि कुछ तत्वों ने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की, जो दुखद और निंदनीय है। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास पर्याप्त फुटेज और साक्ष्य मौजूद हैं जिनकी गंभीरता से जांच की जा रही है। उन्होंने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने, शांति बनाए रखने और पुलिस को अपना काम करने देने की अपील की।
पूरी रात घटनाओं की एक श्रृंखला चलती रही। कहीं नारेबाजी, कहीं भीड़ का फिर एकत्र होना, तो कहीं गलियों में तनाव का फैलना। पुलिस को कई बार भीड़ को तितर-बितर करना पड़ा। रात करीब साढ़े ग्यारह बजे तक तनावपूर्ण माहौल बना रहा और उसके बाद धीरे-धीरे भीड़ गलियों में बंटकर आगे निकल गई। हल्द्वानी में इस तरह की घटनाएं नई नहीं हैं। इससे पहले भी शहर में इसी प्रकार के मामलों पर तनाव फैल चुका है। कई बार पशु अवशेष, मूर्ति खंडित होने या किसी अफवाह ने शहर को सांप्रदायिक तनाव की आग में झोंकने की कोशिश की है।
कालाढूंगी में पशु अवशेष ले जा रहे वाहन को गलतफहमी में रोका गया था, मंगल पड़ाव में मूर्ति टूटने पर विवाद हुआ था और इसी साल अप्रैल में राजपुरा के मंदिर के पास पशु अवशेष मिलने पर तनाव फैल गया था। उन सभी मामलों की जांच में बाद में यह स्पष्ट हुआ कि स्थितियां बिल्कुल अलग थीं और किसी भी मामले में साम्प्रदायिक षड्यंत्र की पुष्टि नहीं हुई। रविवार की रात का यह मामला भी शुरूआती भ्रम और अफवाहों की वजह से बेकाबू होता दिखा, लेकिन पुलिस, प्रशासन और स्थानीय नागरिकों की समझदारी ने शहर को बड़ी घटना से बचा लिया। हालांकि यह घटना फिर एक बार चेतावनी दे गई है कि हल्द्वानी जैसे संवेदनशील शहर में किसी भी अफवाह या गलतफहमी को फैलने से रोकने के लिए बेहद सतर्क रहना होगा, वरना छोटी-सी चिंगारी भी बड़े संकट में बदल सकती है।




