
देहरादून। देश की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर उत्तराखंड को अपने रडार पर रखा है, क्योंकि पिछले कई दशकों से आतंकियों के नेटवर्क की कुछ कड़ियां यहां तक पहुंचती रही हैं। हालांकि राज्य का आतंकवाद से सीधा संबंध कभी नहीं रहा, लेकिन कई बार आतंकी घटनाओं के बाद जांच एजेंसियों ने आतंकियों के कदमों के निशां का पीछा करते हुए यहां तक दस्तक दी। कभी किसी आतंकी ने यहां पनाह ली, तो कभी किसी ने यहां से नेटवर्क चलाने की कोशिश की। उत्तराखंड पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई में अब तक कई संदिग्ध आतंकी पकड़े जा चुके हैं।
राज्य के सीमावर्ती जिलों, विशेषकर ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून में समय-समय पर ऐसे ऑपरेशन हुए जिनमें आतंकवादियों और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी हुई। 1980 के दशक में खालिस्तान आंदोलन के दौरान ऊधमसिंह नगर जिला खालिस्तानी आतंकियों की गतिविधियों से प्रभावित रहा। उस समय यहां पुलिस और आतंकियों के बीच कई मुठभेड़ें हुईं। पंजाब पुलिस और स्थानीय पुलिस ने संयुक्त रूप से कई ऑपरेशन चलाकर इस नेटवर्क को कमजोर किया।
1990 के दशक के बाद खालिस्तानी आतंकियों की सक्रियता तो कम हो गई, लेकिन उन्होंने उत्तराखंड को अपनी पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करना जारी रखा। कई बार घटना के बाद आरोपी यहां छिपते पाए गए। नाभा जेल ब्रेक मामले के मास्टरमाइंड परमिंदर उर्फ पेंदा और उसके साथी को वर्ष 2015 में देहरादून पुलिस ने गिरफ्तार किया था। गढ़वाल क्षेत्र के हरिद्वार और रुड़की इलाकों में भी कई बार केंद्रीय एजेंसियां आतंकियों के नेटवर्क का पीछा करती आईं। लश्कर-ए-तैयबा, आईएसआई और गजवा-ए-हिंद जैसे संगठनों से जुड़े मॉड्यूल का खुलासा यहां हुआ।
वर्ष 2016 में हरिद्वार से आईएसआईएस के चार संदिग्ध आतंकियों को एनआईए और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से पकड़ा था। ये आतंकी अर्द्धकुंभ के दौरान बड़ी साजिश को अंजाम देने की योजना बना रहे थे। पुलिस सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड में किसी भी देशविरोधी गतिविधि को पनपने नहीं दिया जाएगा। सभी एजेंसियां लगातार सूचनाएं साझा कर रही हैं ताकि कोई भी आतंकी तत्व राज्य की शांति भंग न कर सके।
कब-कब पकड़े गए संदिग्ध आतंकी:
- 06 फरवरी 2018: लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क से जुड़े अब्दुल समद को गिरफ्तार किया गया, जो हवाला के जरिए धन इकट्ठा कर रहा था।
- 20 अप्रैल 2018: यूपी एटीएस ने डीडीहाट से रमेश सिंह कन्याल को पकड़ा, जिस पर आईएसआई को सूचना देने का आरोप था।
- 10 सितंबर 2018: ऊधमसिंह नगर पुलिस ने खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े दो लोगों को पकड़ा, जो सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार कर रहे थे।
- 17 सितंबर 2018: धारचूला से एक संदिग्ध गिरफ्तार किया गया, जिस पर तत्कालीन रक्षामंत्री की हत्या की साजिश का आरोप था।
- 06 जून 2019: ऊधमसिंह नगर से बब्बर खालसा इंटरनेशनल के लिए हथियार जुटाने वाले हरचरण सिंह को गिरफ्तार किया गया।
- 21 जुलाई 2019: नैनीताल पुलिस ने हल्द्वानी के 52 लोगों की जांच शुरू की, जो सोशल मीडिया पर खालिस्तानी विचारधारा से जुड़े थे।
- 01 फरवरी 2020: यूपी एटीएस ने रुड़की से खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स के सदस्य आशीष सिंह को गिरफ्तार किया।
- 03 नवंबर 2022: यूपी एटीएस और उत्तराखंड एसटीएफ ने संयुक्त अभियान में ज्वालापुर से गजवा-ए-हिंद मॉड्यूल से जुड़े संदिग्ध को गिरफ्तार किया।
इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भले ही उत्तराखंड आतंकी हमलों का केंद्र नहीं रहा, लेकिन आतंकवादियों की गतिविधियों के छिपे हुए निशान यहां तक जरूर पहुंचे हैं। सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और लगातार निगरानी के चलते अब तक कई साजिशें समय रहते नाकाम कर दी गई हैं।




