
देहरादून। उत्तराखंड राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन सदन में पहाड़ और मैदान की राजनीति को लेकर गरमागरम बहस छिड़ गई। भोजनावकाश से पहले शुरू हुई यह बहस भोजनावकाश के बाद भी जारी रही। सदन का माहौल उस समय तीखा हो गया जब भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने अपने वक्तव्य में हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र को “नरक” कहा। विपक्षी विधायकों ने इस पर कड़ा विरोध जताया और सदन में शोरगुल का माहौल बन गया।
विपक्ष की ओर से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी और विधायक तिलकराज बेहड़ ने मुन्ना सिंह चौहान के बयान पर आपत्ति जताई। भुवन कापड़ी ने कहा कि जब सरकार लोगों को भूमिधरी का अधिकार नहीं दे पा रही, तो वह अतिक्रमण का नाम लेकर आम जनता को बदनाम कर रही है। वहीं सुमित हृदयेश ने कहा कि राज्य के 80 प्रतिशत शहरी इलाकों की आबादी नजूल भूमि पर रहती है, जिन्हें नियमित किया जाना चाहिए।
इस बीच बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद ने भी पहाड़-मैदान की राजनीति का विरोध किया और कहा कि राज्य को जोड़ने की जरूरत है, बांटने की नहीं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि विकास के मुद्दों को प्राथमिकता दी जाए और 9000 एकड़ कब्जामुक्त भूमि को गरीबों में पट्टे पर बांटा जाए। विवाद बढ़ता देख संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल ने सदन में हस्तक्षेप किया और कहा, “पूरा उत्तराखंड एक है, हम सब उत्तराखंडी हैं। हमें विकास पर चर्चा करनी है, न कि विभाजन की रेखाएं खींचनी हैं।” उनके इस वक्तव्य के बाद सदन में कुछ देर के लिए माहौल शांत हुआ और बहस का रुख राज्य के विकास की ओर मुड़ गया।
कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए कि सभी ने मिलकर उत्तराखंड का निर्माण किया है। उन्होंने सिडकुल की स्थापना को राज्य की बड़ी उपलब्धि बताया, पर यह भी कहा कि वहां शीर्ष पदों पर स्थानीय युवाओं की भागीदारी बेहद कम है। उन्होंने उपनलकर्मियों के नियमितीकरण और राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की मांग दोहराई। भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ ने कहा कि 25 वर्षों में उत्तराखंड ने उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने बताया कि पशुपालन और कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व सुधार हुए हैं, 13 जिलों में 332 पशु चिकित्सालय बनाए गए और दो लाख से अधिक पशुधन का बीमा किया गया।
भाजपा विधायक खजानदास ने भावनात्मक लहजे में कहा कि वह उस ऐतिहासिक दिन के साक्षी हैं जब उत्तराखंड के गठन का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश विधानसभा में पारित हुआ था। उन्होंने कहा कि हमें अब ऐसी परिस्थितियां नहीं बनने देनी चाहिए जो पहाड़ और मैदान को बांटें। उन्होंने भविष्यवाणी की कि आने वाले 25 वर्ष उत्तराखंड को शहीदों के सपनों का राज्य बनाएंगे। वहीं भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि वह किसी भी वाद के विरोधी हैं, लेकिन पहाड़ के सरोकारों के समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि “उत्तराखंड कोई धर्मशाला नहीं है कि कोई भी आकर जाति प्रमाणपत्र बनवाकर यहां की नौकरियों पर अधिकार जमा ले।” उन्होंने भू-कानून पर पुनर्विचार की आवश्यकता पर बल दिया और राज्य की मौलिकता की रक्षा की बात कही।
कांग्रेस विधायक रवि बहादुर ने सदन में तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि विशेष सत्र में भविष्य की दिशा पर चर्चा की बजाय पहाड़-मैदान की बहस होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि “पहाड़-मैदान छोड़ो, उत्तराखंड जोड़ो” का मंत्र अपनाना होगा। उन्होंने राज्य के सफाई कर्मियों के दयनीय हालात और स्थायी वेतन संरचना की कमी पर भी सवाल उठाया। दिन भर चली इस गरमागरम बहस के बीच अंत में संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल का “हम सब उत्तराखंडी हैं” वाला वक्तव्य पूरे सदन में गूंजा और रजत जयंती सत्र का स्वर विकास और एकता की ओर मुड़ता नजर आया।




