
देहरादून। उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय विधानसभा विशेष सत्र में सोमवार को प्रदेश के भविष्य, विकास यात्रा और मौजूदा चुनौतियों पर लंबी बहस हुई। सत्र की शुरुआत में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य की 25 वर्ष की उपलब्धियों और संघर्षों पर चर्चा करते हुए सरकार पर तीखे प्रहार किए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की जनता ने अलग राज्य का सपना इस विश्वास के साथ देखा था कि अब विकास हर घर तक पहुंचेगा, लेकिन आज भी राज्य उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया है।
यशपाल आर्य ने कहा कि राज्य गठन के समय सबके चेहरों पर उत्साह और उम्मीद थी, लेकिन आज स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि यह राज्य किसी एक दल या व्यक्ति की देन नहीं, बल्कि जनता की सामूहिक लड़ाई का परिणाम है। उत्तराखंड आंदोलन में सभी वर्गों, समाजों और नेताओं ने योगदान दिया। उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू, पंडित नारायण दत्त तिवारी, हरीश रावत और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस के समर्थन के बिना उत्तराखंड राज्य पुनर्गठन विधेयक पारित नहीं हो पाता।
नेता प्रतिपक्ष ने सदन में कहा कि आज प्रदेश की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। वर्ष 2017 में जहां राज्य पर 40 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था, वहीं 2025 तक यह आंकड़ा एक लाख करोड़ पार कर चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार ने आय बढ़ाने के लिए क्या ठोस कदम उठाए? क्या उत्पादकता में कोई सुधार हुआ? हर माह सरकार 200 से 300 करोड़ रुपये का कर्ज बाजार से ले रही है। उन्होंने कहा कि 2016-17 में राजस्व वृद्धि दर 19.50 प्रतिशत थी, जो घटकर अब 11 प्रतिशत रह गई है।
उन्होंने प्रदेश की सामाजिक स्थिति पर भी चिंता जताई। कहा कि राज्य के 1200 गांव वीरान हो चुके हैं, जिनमें से कई को “घोस्ट विलेज” घोषित किया गया है। अब तक करीब 35 लाख लोग पलायन कर चुके हैं। पलायन आयोग की रिपोर्ट बताती है कि 55 प्रतिशत लोग रोजगार, 15 प्रतिशत शिक्षा और 10 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण गांव छोड़ने को मजबूर हुए। वर्तमान में भी 15 लाख बेरोजगार हैं, जबकि एक लाख से अधिक पद खाली पड़े हैं। नकल माफिया, भर्ती घोटाले और पेपर लीक जैसी घटनाओं ने युवाओं का भरोसा तोड़ दिया है।
यशपाल आर्य ने कहा कि अस्पताल अब रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं, सीमांत जनपदों की स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद कमजोर हैं। देवभूमि की तस्वीर बदरंग हो चुकी है। शराब और भू-माफियाओं का गठजोड़ खुलेआम काम कर रहा है और अफसरशाही पर कोई नियंत्रण नहीं है। अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को समानता के अधिकार से वंचित कर यूनिफॉर्म सिविल कोड से बाहर कर दिया गया है, जो अन्यायपूर्ण है।
इस दौरान सदन में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और भाजपा विधायक बंशीधर भगत के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। भगत ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष का भाषण भ्रमित करने वाला है और उन्हें खुद नहीं पता कि वे क्या कहना चाहते हैं। इस पर कांग्रेस विधायकों ने तंज कसा कि इतने वरिष्ठ विधायक अपनी ही सरकार में धरना देने को मजबूर थे।
सत्र में संसदीय कार्य मंत्री सुबोध उनियाल ने सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि राज्य गठन के बाद से अब तक प्रदेश ने लंबा सफर तय किया है। वर्ष 2000 में केवल 5 प्रतिशत गांव सड़क से जुड़े थे, आज अधिकांश गांव सड़क सुविधा से जुड़े हैं। तब बिजली 15 प्रतिशत गांवों में थी, आज लगभग हर गांव में बिजली पहुंच चुकी है। राज्य में 4500 से अधिक हाईस्कूल और इंटर कॉलेज तथा 100 से ज्यादा डिग्री कॉलेज खुल चुके हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में विधानसभा ने 524 विधेयक पारित किए हैं। उत्तराखंड को केंद्र सरकार से दो लाख करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त हुई है। जी-20 जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन से राज्य को वैश्विक पहचान मिली है। उन्होंने कहा कि अब हमारा लक्ष्य 2047 तक उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाना है, जिसके लिए सरकार विकास, पर्यावरण संरक्षण और जनभागीदारी पर जोर दे रही है।





