
जयहरीखाल (कोटद्वार) | गढ़वाल क्षेत्र के लिए कभी शिक्षा का केंद्र रहा राजकीय इंटर कॉलेज जयहरीखाल (GIC Jayharikhal) आज विकास की राह देख रहा है। वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस विद्यालय को झारखंड के प्रसिद्ध नेत्रहाट स्कूल की तर्ज पर एक आधुनिक आवासीय विद्यालय के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। योजना में तय हुआ था कि 60 प्रतिशत धनराशि हंस फाउंडेशन और 40 प्रतिशत राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी।
लेकिन, राज्य सरकार से बजट न मिलने के कारण वर्ष 2022 में निर्माण कार्य रोक दिया गया और तब से परियोजना अधर में लटकी हुई है। हंस फाउंडेशन ने विद्यालय के डी-ब्लॉक की छत, दीवारों, फर्श, खिड़कियों और दरवाजों की मरम्मत जरूर कराई, लेकिन आगे की प्रक्रिया रुक गई।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों का आक्रोश
ग्राम प्रधान प्रगति असवाल, क्षेत्र पंचायत सदस्य शशि बिष्ट, ताजबर सिंह, प्रेमलाल, मीना देवी, दिवाकर सिंह और अन्य ग्रामीणों ने कहा कि यदि जयहरीखाल इंटर कॉलेज को नियोजित रूप से विकसित किया गया होता, तो यह पूरे गढ़वाल मंडल के मेधावी विद्यार्थियों के लिए एक मॉडल शैक्षणिक केंद्र बन सकता था।
उनका कहना है कि इस विद्यालय का गौरवशाली इतिहास आज भी प्रेरणादायक है, लेकिन सरकारों की उपेक्षा से यह अपने पुराने स्वरूप और पहचान को खोता जा रहा है। ग्रामीणों ने शासन से मांग की है कि विद्यालय के पुनर्विकास प्रस्ताव को तत्काल स्वीकृति दी जाए।
गौरवशाली इतिहास
वर्ष 1922 में 700 नाली भूमि दान में मिलने पर इस विद्यालय की स्थापना हुई थी। उस दौर में यह भूमि एक बड़ी सामूहिक शैक्षणिक भेंट मानी गई थी। तब से जयहरीखाल शिक्षा का केंद्र बन गया था। पौड़ी जनपद ही नहीं, बल्कि आस-पास के जनपदों से भी छात्र यहां पढ़ने आते थे।
यहां से पढ़े अनेक छात्र आगे चलकर राजनीति, प्रशासन, सेना, विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उच्च पदों पर पहुंचे।
विद्यालय के पूर्व छात्रों में दो मुख्यमंत्री — त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत — के अलावा आईएएस टॉपर अनुराग श्रीवास्तव जैसे नाम भी शामिल हैं।
शिक्षा विभाग की स्थिति
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी अमित कुमार चंद ने बताया कि विद्यालय के डी-ब्लॉक की मरम्मत पूरी हो चुकी है, जबकि सी-ब्लॉक की मरम्मत के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। विद्यालय को आवासीय मॉडल स्कूल के रूप में विकसित करने की योजना अब भी प्रस्तावित है और शासन स्तर पर अंतिम निर्णय का इंतजार है।





