
देहरादून। यूकेएसएसएससी परीक्षा लीक मामले को लेकर प्रदेश में उठे युवा आंदोलन ने सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी। सोमवार को परेड ग्राउंड पर आयोजित धरने में छात्र-युवाओं ने न केवल अपने गुस्से और नारों के जरिए सरकार को संदेश दिया, बल्कि अपनी परिपक्वता भी दिखाई। युवा आंदोलनों की इस आंच में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ा, लेकिन उन्होंने संतुलित और जिम्मेदार रुख अपनाते हुए सीबीआई जांच की घोषणा की।
धरने में उपस्थित युवाओं ने अपने आक्रोश को सीधे व्यक्त किया और सरकार के निर्णयों पर सवाल उठाए। हालांकि, इस पूरे प्रकरण में यह स्पष्ट हुआ कि युवा केवल विरोध नहीं कर रहे थे, बल्कि न्याय और पारदर्शिता की मांग कर रहे थे। मुख्यमंत्री धामी ने धरना स्थल पर पहुंचकर युवाओं की भावनाओं को समझा और उन्हें आश्वासन दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच होगी।
सरकार ने सुरक्षा और नियंत्रण बनाए रखने के लिए तुरंत जिलाधिकारी और एसएसपी को धरना स्थल पर भेजा। यह कदम सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हुआ, जिससे किसी अप्रिय घटना को रोका जा सका। इस दौरान युवाओं ने अपनी मांगों और नारों के माध्यम से सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि वे केवल निष्पक्ष जांच चाहते हैं और आंदोलन को किसी गलत दिशा में नहीं भटकने देंगे।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वे न केवल आंदोलनरत युवाओं को समझते हैं, बल्कि अपने कार्यकाल में लागू किए गए कड़े नकल विरोधी कानून की रक्षा भी करेंगे। सीबीआई जांच की घोषणा के साथ ही यह संदेश स्पष्ट हुआ कि सरकार किसी भी संवेदनशील मामले में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
धरने में शामिल युवाओं ने नतीजे की परवाह किए बिना अपने विचार व्यक्त किए और आंदोलन के दौरान अनुशासन बनाए रखा। इस दौरान मुख्यमंत्री के पहुंचने से युवाओं में संतुलन बना और माहौल शांत हुआ। उनके इस कदम को प्रशासन और युवाओं दोनों ने सराहा।
इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट हुआ कि उत्तराखंड के युवा गंभीर मुद्दों पर जागरूक हैं और लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठाना जानते हैं। वहीं, सरकार और प्रशासन के लिए भी यह एक सबक है कि संवेदनशील मामलों में शीघ्र और संतुलित कदम उठाना आवश्यक है। यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले में इस आंदोलन ने युवाओं की जिम्मेदारी और मुख्यमंत्री धामी की निर्णायक भूमिका दोनों को उजागर किया है।