
देहरादून | उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा से जुड़े पेपर लीक मामले में कई तरह की कहानियां और आरोप सामने आ रहे हैं। इन्हीं में से एक बड़ा आरोप था कि हरिद्वार के परीक्षा केंद्र में आरोपी खालिद को साजिशन नकल कराने के लिए एक नीली कुर्सी पर बैठाया गया था। लेकिन एसआईटी (SIT) की जांच में यह दावा पूरी तरह से बेदम साबित हुआ है।
जांच में निकला सच
एसआईटी टीम ने शनिवार को परीक्षा केंद्र का निरीक्षण किया। जांच में पाया गया कि पूरे स्कूल में दो तरह की कुर्सियां—नीली और काली—उपलब्ध थीं। किसी कमरे में नीली कुर्सियां अधिक थीं तो कहीं काली। जिस कक्ष में खालिद बैठा था, वहां दो नीली कुर्सियां रखी थीं। इत्तफाक से खालिद एक नीली कुर्सी पर बैठ गया, जबकि दूसरी पर कोई और परीक्षार्थी बैठा था। यानी, यह किसी तरह की विशेष व्यवस्था नहीं बल्कि सामान्य बैठने की प्रक्रिया थी।
जैमर को लेकर भी साफ हुई स्थिति
खालिद के कमरे में जैमर न होने की बातें भी सामने आई थीं। जांच में पता चला कि उस कक्ष के दोनों ओर जैमर लगे हुए थे, जिनकी रेंज 10 से 15 मीटर तक थी। ऐसे में खालिद का कक्ष भी उनकी रेंज में आता था। इसी वजह से वह मोबाइल से प्रश्नपत्र की तस्वीरें तो खींच सका, लेकिन उन्हें परीक्षा कक्ष के अंदर से भेज नहीं पाया। इसके लिए उसे वॉशरूम तक जाना पड़ा।
नकल का खेल ऐसे हुआ उजागर
जांच से पता चला कि खालिद ने परीक्षा से एक दिन पहले ही मोबाइल छिपा लिया था। परीक्षा के दिन उसने सफलतापूर्वक मोबाइल भीतर ले जाकर प्रश्नपत्र के तीन पन्ने बाहर भेज दिए। हालांकि, इस बीच मामला सामने आ गया और उसे जवाब नहीं मिल पाए। नकल और अपनी अकल के सहारे वह सिर्फ 35 सवाल हल कर पाया, जिनमें से कुछ गलत भी हो सकते हैं। ऐसे में उसके पास होने की संभावना लगभग खत्म है।
आयोग से मांगा रिकॉर्ड
एसआईटी ने अब आयोग से खालिद का उत्तरपुस्तिका रिकॉर्ड मांगा है, ताकि उसकी लिखित परीक्षा में किए गए उत्तरों की तस्दीक की जा सके।