
देहरादून | चारधाम यात्रा एक बार फिर गति पकड़ चुकी है। बीते दिनों बारिश और आपदा के कारण थमी हुई यात्रा अब मौसम खुलने के साथ पटरी पर लौट आई है। शुक्रवार तक 45.25 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम व हेमकुंड साहिब के दर्शन कर चुके हैं।
यात्रा की शुरुआत इस साल 30 अप्रैल को गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने से हुई थी। इसके बाद 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुले। शुरुआती दिनों में यात्रा सुचारू रूप से चलती रही, लेकिन अगस्त में धराली क्षेत्र में आई आपदा ने गंगोत्री व यमुनोत्री की यात्रा पूरी तरह रोक दी। अब हालात सामान्य होने पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में धामों की ओर लौट रहे हैं।
एक दिन में 13 हजार श्रद्धालु पहुंचे धाम
पिछले कुछ दिनों से मौसम साफ रहने से प्रतिदिन 13 हजार से अधिक श्रद्धालु चारधाम और हेमकुंड साहिब पहुंचकर दर्शन कर रहे हैं। हालांकि यात्रा मार्गों पर भूस्खलन की समस्या अब भी बनी हुई है। कई जगह सड़कें क्षतिग्रस्त हैं, जिससे श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बावजूद इसके श्रद्धालुओं का उत्साह बरकरार है और बड़ी संख्या में लोग धामों की यात्रा कर रहे हैं।
अब तक पहुंचे श्रद्धालु (27 सितंबर 2025 तक)
धाम | दर्शन कर चुके श्रद्धालु |
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केदारनाथ | 15,73,796 |
बदरीनाथ | 13,93,317 |
गंगोत्री | 6,95,113 |
यमुनोत्री | 5,99,507 |
हेमकुंड साहिब | 2,63,873 |
👉 कुल मिलाकर अब तक 45.25 लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम व हेमकुंड साहिब के दर्शन कर चुके हैं।
पिछले साल का रिकॉर्ड करीब
पिछले साल चारधाम यात्रा के दौरान 46 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। इस साल का आंकड़ा अब उस रिकॉर्ड के करीब पहुंच चुका है और अनुमान है कि कपाट बंद होने से पहले यह संख्या पिछले वर्ष से अधिक हो सकती है।
पंजीकरण में बढ़ोतरी
चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य है। पर्यटन विभाग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से पंजीकरण की सुविधा दे रहा है।
- आपदा के दौरान ऑफलाइन पंजीकरण केंद्रों में सन्नाटा छाया रहा था,
- लेकिन अब श्रद्धालु बड़ी संख्या में पंजीकरण करा रहे हैं।
शुक्रवार को हरिद्वार, ऋषिकेश और हरबर्टपुर केंद्रों पर 1480 श्रद्धालुओं का पंजीकरण हुआ। धराली आपदा की पीड़ा अब भी लोगों के बीच बनी हुई है। केंद्र सरकार ने इस आपदा में लापता लोगों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की मंजूरी दी है, लेकिन अब भी 67 लोग लापता हैं जिनका कोई सुराग नहीं लग पाया है।