
हल्द्वानी। उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में सोमवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के जिला कार्यवाह राहुल जोशी के छोटे बेटे सजल जोशी (22 वर्ष) ने असहनीय दर्द और मानसिक पीड़ा से तंग आकर अपनी जान दे दी। आत्महत्या से पहले उसने 6 मिनट 32 सेकंड का एक भावुक वीडियो बनाकर अपने यूट्यूब चैनल और इंस्टाग्राम पर अपलोड किया, जिसमें उसने मां-बाप से माफी मांगते हुए अपनी मजबूरी बयां की।
दर्दनाक वीडियो: “मम्मी-पापा! रियली सॉरी”
वीडियो में सजल कहता है—
“मैं इतना स्ट्रांग नहीं हूं कि ये सब और झेल सकूं। आपने मेरे लिए सब कुछ किया… पढ़ाई, खेल, हर काम के लिए मुझे आज़ादी दी। मेरी केयर की और हमेशा कहा कि हम हैं, तुझे परेशान नहीं होना है। मम्मी-पापा! रियली सॉरी… अगर हो सके तो मुझे माफ कर देना।”
उसने यह भी कहा कि उसके इस निर्णय में किसी परिजन, दोस्त या रिश्तेदार का कोई दोष नहीं है।
बीमारियों से टूटा हौसला
करीब ढाई–तीन महीने पहले सजल को लोअर बैक पेन की समस्या शुरू हुई थी। जांच में स्लिप डिस्क की समस्या सामने आई। उसने कई डॉक्टरों, आर्थोपेडिक विशेषज्ञों और फिजिशियनों से इलाज कराया, यहां तक कि गैस्ट्रो से लेकर गायनो ट्रीटमेंट तक करवाया, लेकिन आराम नहीं मिला।
इसी बीच उसके पुराने आईबीएस (इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम) के लक्षण भी दोबारा सामने आने लगे। कमर और पेट का असहनीय दर्द उसे भीतर से तोड़ता चला गया।
पूरी योजना बनाकर उठाया कदम
पुलिस जांच में सामने आया कि सजल ने आत्महत्या की पहले से योजना बनाई थी। जिस चाकू से उसने गला रेतकर जान दी, वह उसने ऑनलाइन मंगाया था। सोमवार शाम करीब चार बजे वह अपने कमरे में अकेला था। वीडियो अपलोड करने के तुरंत बाद उसने यह कदम उठा लिया। जब परिजन कमरे में पहुंचे तो वह लहूलुहान हालत में पड़ा था। उसे तुरंत सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
यूट्यूब चैनल और सब्सक्राइबर
सजल ने अपने नाम से एक यूट्यूब चैनल बनाया था, जिस पर उसने अब तक 63 वीडियो अपलोड किए थे। चैनल के 8,500 से अधिक सब्सक्राइबर थे। उसके वीडियो विजिलेंस, पर्यावरण और स्कैम से बचाव जैसे विषयों पर जागरूकता फैलाने वाले होते थे। कई वीडियो प्रेरणादायी भी थे।
साल 2023 तक वह नियमित रूप से वीडियो डालता था। 17 अगस्त 2023 के बाद लंबे अंतराल के बाद उसने 21 जुलाई 2025 को अगला वीडियो अपलोड किया और आखिरी वीडियो घटना के दिन का रहा।
परिवार और सामाजिक स्थिति
सजल दो भाइयों में छोटा था। उसका बड़ा भाई विदेश में रहकर पायलट की ट्रेनिंग ले रहा है। परिवार शहर में प्रतिष्ठित माना जाता है। पिता संघ के जिला कार्यवाह और प्रमुख कारोबारी हैं, जबकि मां गढ़वाल के गोपेश्वर कॉलेज में प्रोफेसर हैं।
सजल की मौत की खबर मिलते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। अस्पताल और मोर्चरी में बड़ी संख्या में भाजपा और संघ से जुड़े लोग पहुंचे। हर कोई जोशी परिवार को ढांढ़स बंधाने की कोशिश करता रहा।
विशेषज्ञों की चेतावनी
डाॅ. युवराज पंत, वरिष्ठ मनोविज्ञानी, सुशीला तिवारी अस्पताल ने कहा—
“लंबे समय तक बीमारी झेलने से व्यक्ति अवसाद में चला जाता है। कई बार असली बीमारी से ज्यादा मानसिक रूप से बीमारी को महसूस करने की प्रवृत्ति खतरनाक बन जाती है। यदि कोई व्यक्ति लगातार दर्द या समस्या से परेशान है तो केवल चिकित्सकीय इलाज ही नहीं, बल्कि मनोचिकित्सक की मदद लेना भी जरूरी है। असल बीमारी का इलाज आसान है, लेकिन मानसिक अवसाद से निकालना मुश्किल होता है। यही स्थिति व्यक्ति को आत्मघाती कदम तक ले जा सकती है।”
समाज के लिए चेतावनी
सजल की मौत ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पढ़ाई और खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने वाला, सामाजिक रूप से सक्रिय और जागरूक युवा आखिरकार अवसाद और असहनीय दर्द के कारण टूट गया। यह घटना परिवारों और समाज दोनों के लिए एक सबक है कि शारीरिक बीमारी के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी गंभीरता से लिया जाए।