
देवप्रयाग ब्लॉक के गढ़ाकोट गांव में सोमवार सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब घास लेने जंगल में गई एक महिला पर जंगली भालू ने अचानक हमला कर दिया। यह इस क्षेत्र में एक महीने के भीतर भालू का दूसरा हमला है, जिससे ग्रामीणों में भारी दहशत फैल गई है। ग्राम प्रधान विजय सिंह असवाल के मुताबिक, सुबह करीब 8 बजे गांव की गुड्डी देवी (45), पत्नी जोत सिंह, मवेशियों के लिए चारा लेने घर से निकली थीं। वह गांव की सड़क के नीचे घने जंगल की ओर गईं, जहां घनी झाड़ियों में छिपा एक जंगली भालू पहले से मौजूद था। अचानक भालू ने उन पर झपट्टा मारा और पंजों से बुरी तरह नोच डाला।
गुड्डी देवी की चीखें सुनकर पास में मौजूद अन्य महिलाएं मदद के लिए दौड़ीं। ग्रामीणों ने पत्थर और लकड़ियों से शोर मचाकर किसी तरह भालू को भगाया और घायल महिला को उसके चंगुल से छुड़ाया। महिला को गंभीर चोटें आईं और खून बहने लगा, जिसके बाद ग्रामीणों ने तुरंत उन्हें श्रीनगर बेस अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी हालत फिलहाल स्थिर है लेकिन कई जगह गहरे घाव हैं।यह घटना गढ़ाकोट में भालू के बढ़ते खतरे की एक और कड़ी है। इससे पहले 1 जुलाई को भी गांव की रजनी असवाल (38) घास लेने गई थीं, तभी गदेरे के पास एक भालू ने उन पर हमला कर दिया था। उन्हें भी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।
स्थानीय लोग कहते हैं कि पिछले कुछ महीनों से जंगल से भालू और अन्य जंगली जानवर बार-बार गांव के पास आने लगे हैं, खासकर सुबह और शाम के समय। ग्रामीणों का मानना है कि बारिश और जंगल में भोजन की कमी के कारण जंगली जानवर आबादी की ओर बढ़ रहे हैं।रेंजर एम.एस. रावत ने बताया कि वन विभाग ने इस इलाके में गश्त बढ़ा दी है और ग्रामीणों को सचेत रहने की सलाह दी है। “हमारी टीम लगातार निगरानी कर रही है और ग्रामीणों से अपील है कि अकेले जंगल में न जाएं। मवेशियों के लिए घास काटते समय समूह में रहें और अपने साथ डंडे या अन्य सुरक्षा साधन रखें,” उन्होंने कहा।
इस हमले के बाद गढ़ाकोट गांव के लोग डर के साए में हैं। कई महिलाएं अब जंगल में अकेले घास लेने जाने से कतरा रही हैं, जबकि पुरुष भी अपने परिवार के सदस्यों के साथ खुद जाने लगे हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि भालू को पकड़कर सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाए, ताकि गांव में फिर से शांति लौट सके।