
देहरादून। पूरे देश में भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व शनिवार को बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया। बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी दीर्घायु, सुख-समृद्धि और खुशहाल जीवन की कामना की। बदले में भाइयों ने भी अपनी बहनों को उपहार और स्नेह का प्रतीक स्वरूप विभिन्न तोहफे दिए। त्योहार से पहले ही डाक विभाग के कर्मचारियों पर काम का दबाव बढ़ गया था। राखी भेजने और पहुंचाने का सिलसिला पूरे सप्ताह जारी रहा। विभाग के अनुसार, अब तक कुल 76,641 राखियां पोस्ट की गईं, जिनमें से 59,742 राखियां समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचाई जा चुकी हैं।
करीब 16,000 राखियां गलत पते या अन्य तकनीकी कारणों से डिलीवर नहीं हो पाईं। इंडिया पोस्ट की ऑर्डिनरी राखी पोस्ट सेवा में अब तक 2,647 पोस्ट दर्ज की जा चुकी हैं। इसके अलावा रोजाना 10 से अधिक राखियां स्पीड पोस्ट और 700-800 राखियां ऑर्डिनरी पोस्ट से भेजी जा रही हैं। त्योहार से ठीक एक दिन पहले यानी शुक्रवार को भी कर्मचारियों ने 10,785 राखियां डिलीवर कीं, जिससे स्पष्ट है कि अंतिम समय तक यह प्रेम-भरा आदान-प्रदान जारी रहा।
सरकार की ओर से बहनों के लिए खास तोहफा
रक्षाबंधन के मौके पर उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश की बहनों को विशेष उपहार देते हुए राज्य परिवहन निगम की साधारण बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा प्रदान की। इस योजना के तहत शनिवार को बड़ी संख्या में महिलाएं और बहनें अपने भाइयों के घर पहुंचने के लिए मुफ्त यात्रा का लाभ उठाती नजर आईं।
परिवहन निगम के मंडलीय महाप्रबंधक सुरेश चौहान ने बताया कि रक्षाबंधन पर महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा के आदेश पहले ही सभी डिपो को भेज दिए गए थे। निगम पर आने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा की जाएगी।
उत्साह और अपनत्व का माहौल
सुबह से ही बाजारों में रौनक देखी गई। मिठाई की दुकानों, राखी स्टॉल और फूल विक्रेताओं पर ग्राहकों की भीड़ उमड़ी रही। घर-घर में पूजा की थाल सजाई गईं और भाइयों की कलाइयों पर रंग-बिरंगी राखियां सजीं। कई परिवारों ने इस मौके को और खास बनाने के लिए सामूहिक भोज और पारिवारिक कार्यक्रम आयोजित किए।
रक्षाबंधन: सिर्फ एक धागा नहीं, रिश्तों की डोर
रक्षाबंधन सिर्फ एक रस्म या औपचारिकता नहीं, बल्कि यह भाई-बहन के प्रेम, स्नेह और जिम्मेदारी का प्रतीक है। यह त्योहार इस बात का भी स्मरण कराता है कि सामाजिक रिश्तों में आपसी विश्वास और सम्मान सबसे मजबूत बंधन होते हैं। उत्तराखंड में इस बार न केवल पारिवारिक स्नेह की डोर बंधी, बल्कि सरकार की मुफ्त बस यात्रा योजना ने भी बहनों के चेहरों पर मुस्कान ला दी।